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बत्तख की चतुराई

बाल कहानी
सुनील दत्त शर्मा

जुलाई, 2023
स्वास्थ्य विशेषांक

एक घने जंगल में बहुत से जानवर रहते थे। सभी का आपस में बहुत प्रेम था। लेकिन एक चालाक लोमड़ी भी उसी जंगल में रहती थी। वह बहुत मक्कार और दुष्ट थी। अवसर मिलते ही छोटे पशु पक्षियों को चट कर जाती थी।
एक दिन घूमते-घूमते बत्तख वहां जा पहुंची जहां वह लोमड़ी रहती थी। बत्तख को देखते ही लोमड़ी झट से झाडि़यों से निकल कर सामने आ गई और बोली। ‘अहा, मुझे तो बत्तख का मांस बहुत अच्छा लगता है, सो आज मैं तुम्हें खाऊंगी।’
‘ठहरो बहन। मुझे खाने से पहले, मेरी एक अंतिम इच्छा तो पूरी कर दो।’ बत्तख ने लोमड़ी से प्रार्थना करते हुए कहा।
‘हां जरूर, जल्दी बोलो।’ अपनी जीभ होठों पर फेरते हुए लोमड़ी ने कहा।
‘लोमड़ी बहन तुम तो बहुत सुरीला गाती हो। एक गाना मेरे लिए भी गा दो, बस यही मेरी अंतिम इच्छा है, फिर तुम मुझे खा लेना।’ दुख भरे गले से बत्तख बोली।
अपनी प्रशंसा सुनते ही लोमड़ी फुली नहीं समाई और आंखें बंद कर गर्दन आसमान की ओर कर जोर-जोर से गाने लगी।
‘वाह! वाह! कितना सुरीला गला पाया है तुमने। बत्तख ने उछल-उछल कर तालियां बजा बजा कर कहा।
लोमड़ी की ऊंची आवाज सुनकर समीप के गांव के कुत्ते जंगल की ओर लपके। इधर लोमड़ी गाने में इतनी डूब गई कि उसे होश ही नहीं रहा।
कुत्ते दूर से भौंकते हुए लोमड़ी के नजदीक आ पहुंचे। उनके शोर से जब लेामड़ी का ध्यान टूटा तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कुत्तों ने लोमड़ी को चारों ओर से घेर लिया और उसके शरीर को काट-काट कर लहुलुहान कर दिया। अंत में लोमड़ी के प्राण निकल गए। दूसरी तरफ बत्तख पहले से ही भागकर अपने घर पहुंच चुकी थी।
अतः मित्रें यह सदा स्मरण रखना कि बुद्धि बल से अधिक शक्तिशाली होता है।

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