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मिलेट्स अधिक पौष्टिक होते हैं

लेख
प्रेमलता यादू

स्वास्थ्य विशेषांक
जुलाई, 2023

मोटे अनाज रक्त में शर्करा की मात्र को नियंत्रित रखने में सहायक होते हैं

साथ ही हृदय के लिए भी मोटे अनाज बेहद लाभकारी सिद्ध होते हैं।

वर्ष 2023 को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मिलेट (मोटा अनाज) वर्ष के रूप में मनाने जा रहा है, वर्ष 2018 में भारत के द्वारा विश्व अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष का प्रस्ताव रखा गया था जिसे खाद्य और कृषि संगठन (थ्।व्) के द्वारा अनुमोदित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है।
ज्वार, बाजरा, रागी (मड़ुआ), कोदो, जौ, सामा, सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना फसलों को मोटे अनाज या मिलेट्स के तौर पर जाना जाता है, यह मिलेट्स हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं इसलिए अब सरकार भी मोटे अनाज के उत्पादन के लिए किसानों को जागरूक कर रही है और हम भारतीय भी पुनः अपने परंपरागत खानपान की ओर लौट रहे हैं, पूरा विश्व अब मिलेट्स के फायदे को समझ कर उसे अपने भोजन में शामिल करनेे की बात कह रहा है।
मिलेट्स की खेती करने में भी बहुत ज्यादा मशक्कत करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि मोटे अनाज कम पानी, कम उर्वरक और कम उपजाऊ वाले भूमि में आसानी से उगाए जा सकते हैं। उच्च तापमान में भी यह अच्छे से उग जाते हैं। मिलेट्स की खेती में यूरिया या दूसरे रसायनों की भी जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिए ये हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक तो होते ही हैं पर्यावरण के लिए भी लाभदायक माने जाते हैं।
मिलेट्स हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं इसलिए हमारे परंपरागत खान-पान में मोटे अनाजों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता था। आज से ज्यादा नहीं 5-6 दशक पूर्व जाएं तो हम पाएंगे कि हमारे बड़े बुजुर्ग मोटे अनाज की ही खेती किया करते थे और मोटे अनाज का ही सेवन किया करते थे। 60 के दशक में आई हरित क्रांति की वजह से गेहूं और चावल ज्यादा उगाए जाने लगे और खाए भी जाने लगे। मोटे अनाज को गरीबों का अनाज कह कर उसे नकारा जाने लगा और फिर धीरे-धीरे ज्यादातर घरों की थालियों में से मोटे अनाज की जगह गेहूं और चावल ने ले लिया।
ज्वार, बाजरा, मक्का और मडुआ जैसे मोटे अनाज में पौष्टिकता की भरमार पाई जाती है। मडुआ उच्च पोषण वाला मोटा अनाज माना जाता है। इसमें कैल्शियम की मात्र भरपूर पाई जाती है। यह डायबिटीज से ग्रस्त रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इसी प्रकार बाजरा में प्रोटीन की प्रचूर मात्र पाई जाती है। प्रोटीन के साथ ही साथ बाजरा में कार्बोहाइड्रेट, लौहतत्व तथा कैरोटीन भी पाया जाता है। कैरोटीन हमारी आंखों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, कैरोटीन आंखों को सुरक्षा प्रदान करता है।
मिलेट्स में गेहूं और चावल की अपेक्षा अधिक मात्र में पोषक तत्व, खनिज, विटामिन आदि पाए जाते हैं इनमें फाइबर की अत्यधिक मात्र होने के कारण इनके सेवन से भूख कम लगती है। जिसके कारण ये वजन कम करने में भी सहायक होते हैं।
मिलेट्स में ज्यादा मात्र में डाइटरी फाइबर होने के कारण डाइजेस्टिव सिस्टम अच्छा रहता है। जिससे पेट की कई परेशानियां जैसे कब्ज, पेट फूलना, अपच, सूजन, पेट में मरोड़ जैसी समस्याएं भी कम हो जाती है। किडनी एवं लीवर जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों के स्वास्थ्य में सुधार होता है तथा इसके सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है।
मोटे अनाज रक्त में शर्करा की मात्र को नियंत्रित रखने में सहायक होते हैं साथ ही हृदय के लिए भी मोटे अनाज बेहद लाभकारी सिद्ध होते हैं।
मोटे अनाज में प्रोटीन की मात्र भी अधिक पाई जाती है। मिलेट्स को सही तरह से पकने के बाद सेवन किया जाए तो यह पचने में भी आसान होते हैं। मिलेट्स में ग्लूटोन नहीं होने के कारण यह ऐसे लोगों के लिए उपयुक्त आहार है जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है।
फॉक्सटेल (कंगनी या टांगुन) व प्रोसो (चेना) वैरायटी के मिलेट्स कैंसर सेल्स के विकास को रोकने में प्रभावकारी साबित हुए हैं। मिलेट्स में फाइटोकेमिकल्स सामान्य कोशिकाओं को बिना कोई नुकसान पहुंचाए कोलन, ब्रेस्ट और लीवर में कैंसर सेल्स के निर्माण को कम करते हैं।
मिलेट्स को अपनाने के अनेक फायदे हैं इसलिए मोटे अनाज को आप अपने डेली डाइट में शामिल करें। ऐसा कर के आप निरोगी काया पा सकते हैं, तो पुनः परंपरागत खान-पान की ओर चलिए और अपनी थाली में मोटे अनाज को स्थान दीजिए।

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