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जून अंक का विषय है-
पर्यावरण का करें सुधार———-

यदि आप कविता में रुचि रखते हैं तो उपरोक्त
पंक्ति के आधार पर कविता की चार पंक्तियां दिनांक
15 मई 2022 तक डाक या ई-मेल द्वारा लिख कर भेजें।

एक प्रविष्टि को पुरस्कृत किया जाएगा। पुरस्कृत प्रविष्टि को 200 रु. पुरस्कार राशि भेजी जायेगी।
मई अंक का विषय है-
वन्दे भारत मातरम्————-

भेजने की अंतिम तिथि 15 अप्रैल 2023 है।
अन्य चुनींदा प्रविष्टियों के नाम के साथ सम्पादित
अंश भी प्रकाशित किए जाएंगे।

अप्रैल अंक का विषय-
शिक्षा देती है संस्कार——————–।

पुरस्कृत

शिक्षा अंतर्ज्योति जगा कर
मन का दूर करे अंधियार।
जीवन जीने की कला सिखाती
सपनों को करती साकार।
शिक्षा पाकर बनें सभ्य जन
सुदृढ़ राष्ट्र करते निर्माण।
मानव मूल्यों का वर्धन कर
शिक्षा देती है संस्कार।।
-नमिता वैश्य, गोण्डा


अन्य चुनींदा प्रविष्टियाँ

शिक्षा देती है स्वाभिमान
शिक्षा है सबका अधिकार
शिक्षा से मिटता अज्ञान
शिक्षा देती है संस्कार।
-गजानन पाण्डेय, हैदराबाद

शिक्षा की महिमा अपार
ज्ञान का खोले ये द्वार,
शूद्र शिक्षा से बने द्विज
शिक्षा देती है संस्कार
-अरविन्द कु- गर्ग, वैशाली, गाजियाबाद (उ-प्र-)

दूर बुराई कर जीवन से, शिक्षा देती है संस्कार।
यह मानव के छुपे गुणों को, करती विकसित भली प्रकार।
संस्कृतियों का इस दुनिया में, अब तक जो भी हुआ विकास
उसकी नींवों में शिक्षा का, रहा सदा से दृढ़ आधार
-सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’, विज्ञाननगर, कोटा (राज-)

शिक्षा ज्ञानवर्द्धन का साधन,
जीवन मूल्यों का आधार।
सदाचार का पाठ पढ़ाती,
दूर करे अज्ञान अंधकार।
मानवता को महकाता है,
बालक सभ्य नागरिक बन।
बाह्य आंतरिक शक्ति जगाकर,
शिक्षा देती है संस्कार।
-गौरी शंकर वैश्य ‘विनम्र’, लखनऊ

शिक्षा देती है संस्कार
करती है व्यक्तित्व का विकास
शिक्षा करती है मानवीय गुणों का निर्माण
शिक्षा है जीवन का अनमोल उपहार
संस्कार ही है भारतीयता की पहचान
संस्कार करते स्वस्थ समाज का निर्माण
शिक्षा करती चरित्र निर्माण, सद्भावों का उत्थान।।
-सुरेश चन्द्रा, शिवालिक नगर, हरिद्वार (उत्तराखंड)

यह सत्य है कि शिक्षा देती है संस्कार
किन्तु संस्कारों का शासिक करना दरकार
केवल पुस्तकीय ज्ञान की शिक्षा है अपर्याप्त
संस्कार युक्त पाठ्यक्रम बनावे सरकार।।
शिक्षा से ही मिलते हैं सद् संस्कार
अवांछनीय शिक्षा दे देती है कुसंस्कार
अतः सरकार व शिक्षा शास्त्री रखें ध्यान
नई शिक्षा पद्धति बनेगी संस्कारों की सोपान।
-गोकुल चंद गोयल, सवाई माधोपुर (राज-)

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