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मकर संक्राति से रात छोटी होने लगती है

जाह्नवी जनवरी 2023 युवा विशेषांक

हमारे अधिकांश पर्व नई फसल के आगमन और ट्टतु परिवर्तन आदि प्राकृतिक परिवेश के परिवर्तन पर आधारित है। ऐसा ही एक पर्व है मकर संक्राति। मकर एक राशि का नाम है और संक्राति का अर्थ है जाना, अर्थात सूर्य के मकर राशि में जाना। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का विशेष प्रयोजन है। इस दिन से रात छोटी होने लगती है और दिन बड़ा। दूसरे छह मास दक्षिणायन में रहने के पश्चात सूर्य उत्तरायण हो जाता है अर्थात उसकी गति उत्तर दिशा की ओर हो जाती है। चूंकि उत्तरायण में प्रकाश की प्रबलता रहती है, अतः सभी शुभ कार्य इसी दिन से आरंभ होते हैं।
इस प्रकार संक्राति सूर्य पूजा का पर्व है। दक्षिण भारत में मकर संक्राति को ‘पोंगल’ कहते हैं। असम में इसे ‘मा बीहू’ के नाम से मनाया जाता है। पूर्व उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे ‘खिचड़ी’ और ‘माघी’ भी कहा जाता है। माघी इसलिए कि मकर संक्रांति माघ के महीने में मनाई जाती है।
मकर संक्राति के अवसर पर नदियों और सरोवरों में स्नान करने का बहुत महत्व है। इस दिन तीर्थराज प्रयाग और गंगा सागर पर विशाल मेलों का आयोजन होता है।

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