कहानी मंजू भारद्वाज
राज अपनी पत्नी से विमुख होकर अपने आफिस की सहकर्मी से प्यार करने लगा। इस का कितना गंभीर परिणाम हुआ
एम्बुलेंस 100 की स्पीड में सड़क पर दौड़ रही थी। अंदर नर्स कोयल को संभालने का भरसक प्रयत्न कर रही थी। मुंह पर लगे ऑक्सीजन मास्क के बावजूद कोयल की उखड़ी, सांसें सामान्य नहीं हो पा रही थी। कोयल राज का हाथ पकड़े तड़प रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें बहुत कुछ कहने को बेताब थी पर होंठ चिपक से गये थे। राज हतप्रद संज्ञा शून्य हो उठा था। ये क्या हो गया—? कैसे हो गया—–? वह भयभीत आंखों से एक टक कोयल को देख रहा था। अनहोनी की आशंका से उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। कोयल की उखड़ती सांसों ने राज के पूरे अस्तित्व को झझकोर कर रख दिया था। आई-सी-यू- के बेड पर पड़ी कोयल की सांसे हिचकोले ले रही थी। कोयल को खो देने का भय राज के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।
दस साल हो गए थे, राज और कोयल की शादी को, इन दस वर्षो के दरमियां आज से पहले राज को कभी कोयल की चिंता नहीं हुई थी। ऐसा नहीं था कि वह कोयल से प्यार नहीं करता था। एक जमाना था जब वह कोयल पर जान छिड़कता था। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। कोयल बहुत ही हंसमुख थी, दिन भर हंसते मुस्कुराते हुए वह अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा करती। धीरे-धीरे वह घर परिवार, पास-पड़ोस, अपने पराये सबों की चहेती जगत जननी बन गयी थी। कोयल जितनी जिम्मेदार थी, राज उतना ही लापरवाह था। शादी के बाद भी उसमें कोई बदलाव नहीं आया था। आज भी वह मदमस्त हाथी की तरह अपने आप में मस्त रहता था। अकेली संतान होने की वजह घर में सब का लाड़ला था। कोयल बड़े घर की बेटी थी। वह राज का बहुत ख्याल रखती। उसने राज की और घर की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल लिया था। राज ने अपने जीवन में यदि किसी हो बहुत अहमियत दिया तो वह खुद राज था। हमेशा अपनी जरूरतें, अपनी इच्छा, अपनी खुशी की दुहाई देकर अपनी हर बात मनवाता, कोयल भी हंस कर उसकी हर बात मान जाती थी। कोयल के लिए उसकी सुबह राज से थी, शाम राज से थी। उसकी खुशी उसका दुख सब राज से था। राज और राज का परिवार ही उसकी जिंदगी थी। जब राज खुश होता तो वह भी खुश होती थी, जब वह परेशान होता तो, वह भी परेशान हो जाती। जब वह दुखी होता तो कोयल रो-रो कर भगवान से उसकी परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करती। उसकी जिंदगी राज से शुरू होकर राज पर ही खत्म होती थी। उसके इस प्यार का अहसास राज को था इसलिए वह इसका भरपूर फायदा उठाता। उसके लिए कोयल का प्यार, उसका समर्पण सब फालतू की बातें थी। बदलते परिवेश में वह भी बदल गया था। जहां राज सागर की उन्मादित लहरों की तरह आवारा था, वही कोयल झील की तरह शांत थी। कोयल की प्यार की दीवानगी राज की समझ के परे थी। इंसान को जब कोई चीज बिन मांगे मिल जाती है तो वह उसकी कदर नहीं करता है। कुछ ऐसा ही था राज के साथ। उसे कोयल की सादगी उसकी सरलता बहुत बोरिंग लगने लगी थी। इसीलिए उसे कोयल में अब कोई इंटररेस्ट नहीं रह गया था। वह कोयल से बड़े प्यार से अपने काम निकलवाता और टाटा बायबाय कर ‘लव यू डार्लिंग’ कह कर चल देता। इन तीन शब्दों ने ही तो कोयल को खरीद लिया था। वह नहीं जानती थी यह शब्द, शब्द नहीं पानी का बुलबुला है। जिसका अब राज के लिए कोई अस्तित्व नहीं है। कोयल के लिए अपने परिवार को खुश रखना ही उसकी पूजा थी। वह तन मन से सब को खुश करने में जुटी रहती। इधर राज घर से निकल कर आजाद परिन्दे की तरह आसमान में उड़ने लगता, कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर। उसकी नजरें हमेशा खूबसूरती तलाशती रहती। इसी दौरान उसकी मुलाकात शैली से हुई। फुल ऑफ एटीटियूड, स्मार्ट, खूबसूरत, नाज नखरे और अदाओं से भरी हुई। दोनों की आंखें चार हुई।
शैली उसी के आफिस में काम करती थी अभी-अभी उसका ट्रांसफर हुआ था। उसके लिए ये शहर नया था। राज उसका गाइड बन भवरें की तरह उसके इर्द-गिर्द मंडराता रहता। धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदलने लगी। अब तो राज सातवें आसमान पर था। घर में एक ऐसी आया थी जो उसकी दीवानी थी और बाहर ऐसी काया थी जिसका वह दीवाना था। उसकी तो पांचों उंगली घी में और सिर कढ़ाई में था। अब तो रोज सुबह उठते ही शुरू हो जाता। आफिस में कॉन्फ्रेन्स है डिअर अच्छे कपड़े निकाल देना और हां प्लीज मेरा जूता साफ कर देना। डार्लिंग मेरा गॉगल्स भी निकाल देना प्लीज। मेरे लिए परफ्रयूम ले आना—-। यार रुमाल में जरा कलफ किया करो। ओहो मौजा मैचिंग नहीं है। अरे यार प्लीज बाइक साफ करने वाले को फोन करके डांट लगाना वह बाइक ठीक से साफ नहीं कर रहा है। बहुत देर हो गयी है। जल्दी करो। नाश्ता टेबल पर लगा देना और हां टिफिन मत देना, आफिस में ही लंच है—–वगैरह वगैरह और इन सारी फरमाइशों के दौरान बीच-बीच में प्लीज, डिअर, डार्लिंग की गुगली भी दे डालता। कोयल भाव विभोर हो कर दौड़ती भागती उसकी हर डिमांड पूरी करती।
इधर राज और शैली का प्यार परवान चढ़ने लगा था। दोनों ज्यादा से ज्यादा समय साथ बिताने लगे। आफिस में क्लाइन्ट से मिलने का बहाना कर वे अक्सर होटल में लंच कर कभी मूवी तो कभी शांपिग के लिए निकल जाते। शैली को शॉपिग का बहुत शौक था। राज उसकी हर फरमाइश पूरी करता। घर पहुंच कर भी उसी के ख्यालों में खोया रहता। उसे गुमसुम देखकर कोयल पूछती, ‘क्या बात है तबियत तो ठीक है न?’ ‘अरे आफिस का बहुत टेंशन है’ कह कर उसे चुप करा देता। वह जानता था इसके बाद कोयल कोई सवाल नहीं करेगी बिल्कुल चुप हो जाएगी। इसी तरह अक्सर वह कोयल को उलटी सीधी बातों में उलझा कर अपनी मनमानी करता। कोयल उसकी हर बात को सच मानकर अपने बच्चे आतिश और शाहिल को भी हिदायत देती, ‘तुम्हारे पापा बहुत परेशान हैं। बेटे, आप दोनों उन्हें तंग मत करना। चुपचाप जाकर सो जाना।’ जी मम्मी कहकर दोनों बच्चे सोने चले जाते। दोनों बच्चों की परवरिश का जिम्मा पूरी तरह से कोयल का था। राज उनकी फीस देकर बाप होने का फर्ज अदा कर देता था। कोयल ने कभी राज से न कोई फरमाइश की, न कभी कोई जिद की वह हर हाल में खुश थी। बस एक ही तमन्ना थी कि राज खुश रहे। उसके इस व्यवहार ने राज को और लापरवाह बना दिया था।
आई-सी-यू में पड़ी कोयल की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। जिंदगी के दरवाजे पर मौत की दस्तक देख कर राज की घबराहट बढ़ रही थी। दोनों बच्चों को सीने से चिपकाये वह कांच से लगातार उसे देखे जा रहा था। अनहोनी के डर से वह पलक झपकना भी भूल गया था। जिंदगी के इस रूप की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। वैसे देखा जाये तो आज तो उसे खुश होना चाहिए था कि शैली और उसके बीच का ये रोड़ा हट रहा है, पर आज न जाने क्यों कोयल से बिछड़ने के अहसास से ही वह थरथर कांप रहा था। उसकी आंखों से गंगा जमुना बह रही थी। उसका मन कर रहा था कि चीखूं चिल्लाऊं कोयल उठ—–मैं तेरे बिना नहीं जी पाऊंगा उठ न——-’ उसके आंखों के सामने हर वह पल हर वह लम्हा चलचित्र की भांति तैरने लगा। जब जब उसने कोयल से झूठ बोला करता था। जब जब उसने उसे धोखा दिया था। जब जब उसकी भावनाओं के साथ खेला था। उसकी आत्मा उसे कोस रही थी। ‘यह तुम्हारी ही करनी का फल है, तुम उसे छोड़ना चाहते थे, लो आज वह ही तुम्हें छोड़ कर जा रही है।’
‘नहीं———————’ चीख पड़ा था राज, तभी फोन की घंटी बजी, शैली का फोन था।
‘जानूं कहां हो तुम’ शैली ने पूछा।
‘मैं स्टार हॉस्पिटल में हूं’
‘क्यों—क्या हुआ—–’ शैली ने आश्चर्य से पूछा।
कोयल को दिल का दौरा पड़ा है,’ भारी आवाज में राज ने कहा।
‘ओह, ये कोयल कौन है?
‘शी इज माई वाईफ, शी इज इन डेन्जर’ रोते हुए राज ने कहा
‘व्हाट————? आर यू मैरिड इडियट——–’ चीख पड़ी थी शैली।
‘हां मैं शादी शुदा हूं और सुनो मेरे दो बच्चे भी हैं’, चीखते हुए राज ने कहा और फोन पटक दिया।
शैली गुस्से में फनफनाती हुई हॉस्पिटल पहुंची। वह राज को बहुत खरी खोटी सुनाना चाहती थी पर वहां पहुंच कर वक्त की नजाकत को देखते हुए उसने उस वक्त चुप रहना उचित समझा। राज टकटकी लगाए कोयल को देख रहा था।
उसे शैली के आने का अहसास तक नहीं हुआ। बिखरे बाल, लाल-लाल आंखें, शर्ट के ऊपर नीचे लगे बटन राज की ऐसी हालत देख उसका दिल पसीज गया। उसने राज का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा ‘डोन्ट वरी, सब ठीक हो जायेगा, ‘राज उसका हाथ पकड़ कर अपने माथे से लगाते हुए फबक-फबक कर रो पड़ा, ‘आई कान्ट लिव विदाउट हर——————’ शैली फटी-फटी आंखों से उसे देख रही थी। राज लगातार भगवान की मूर्ति के सामने खड़ा रोते हुए प्रार्थना कर रहा था, ‘भगवान मुझे उठा लो पर मेरी कोयल को ठीक कर दो। मेरे गुनाहों की इतनी बड़ी सजा मत दो भगवन’, शैली अवाक थी, कल तक वह जिस राज से मिल रही थी, जो बार-बार उसे गले लगाकर आई लव यू आई लव यू कहते नहीं थकता था। मैं तेरे बिना नहीं रह सकता शालू, हम जल्दी ही शादी कर लेंगे—–। बगैरह बगैरह——-।’ वह असली राज था या वह जो आज उसके सामने खड़ा है। जो कोयल के लिए पागलों की तरह आंसू बहा रहा है। शैली भावुक हो गई, उसने राज को बांहों में भरते हुए कहा, ‘राज मैं हूं न तुम मुझसे शादी करना चाहते थे, भगवान ने भी हमारी चाहत पर रजामंदी की मुहर लगा दी है। तभी तो वह कोयल को हमारी जिंदगी से दूर कर रहे हैं।’ राज ने तड़ाक से एक जोरदार थप्पड़ शैली के गाल पर जड़ दिया। गाल पकड़ कर शैली तिलमिला उठी चीखती हुई बोली, ‘तुमने मुझे मारा।’
‘हां मारा———-तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की’, चीखते हुए राज ने लाल-लाल आंखों से घूरते हुए कहा। शैली हैरान थी क्या हो गया है राज को। आखिर ऐसा क्या हुआ एक रात में जिसने राज के पूरे वजूद को ही बदल कर रख दिया था। उसने राज को झकझोरते हुए कहा, ‘क्या हो गया है तुम्हें, तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला और तुम्हीं तो मुझसे शादी करना चाहते थे, बोलो क्या हुआ—बोलो—–’ राज फफक-फफक कर रो पड़ा। ‘मैं मूर्ख था, मेरे लिए जिंदगी मौज-मस्ती भरे खेल का दूसरा नाम था। मैंने कभी तुमसे प्यार किया ही नहीं, क्योंकि मुझे प्यार करना आता ही नहीं है। मैं कोयल को छलता रहा और वह कब मेरी आत्मा में, मेरे रोम-रोम में बसती चली गयी मुझे पता ही नहीं चला। जिस दर्द की आग में मैंने कोयल को झोंक दिया था आज मैं उस आग की तपिस में झुलस रहा हूं। धोखा देता रहा पर उसने हर पल मुझसे सच्चा प्यार किया और आज मेरी वजह से ही उसकी ये हालत है। आज मेरा कमीनापन उसकी सादगी से हार गया। उस सीधी-साधी औरत ने मुझे मेरी औकात दिखा दी कि उसके बिना मैं कितना अधूरा हूं।’ उसने बात आगे बढ़ाते हुए कहा—-‘कल रात मैंने कोयल को तुम्हारे विषय में बताया था। सब कुछ जान कर वह गुमसुम हो गयी थी। उसकी तरफ देखने की मेरी हिम्मत नहीं थी। मैं अखबार में मुंह गाड़े बैठा रहा और बोलता गया। मैं शैली से शादी करना चाहता हूं पर यदि तुम चाहो तो तुम भी यहां रह सकती हो जैसे अभी तक रह रही थी।’ वह एकटक मुझे देख रही थी। उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके शरीर से जान निकाल ली हो। उसका चेहरा सफेद पड़ गया था। मैं उसकी तरफ देखने का साहस नहीं जुटा पाया। वह बिना कुछ कहे कमरे से बाहर चली गई थी। काफी देर बाद वह आई थी और धीरे से बोली, ‘राज मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुम्हारी खुशी के लिए ये एक जन्म क्या सैकड़ों जन्म कुर्बान कर सकती हूं। तुम वही करो जिसमें तुम्हें खुशी मिलती है। मैं कभी तुम्हारे रास्ते में नहीं आऊंगी। बच्चों को मेरी मां के पास छोड़ देना, ताकि तुम शैली के साथ नया जीवन शुरू कर सको। मैंने आज तुमसे कुछ नहीं मांगा पर आज चंद सवालों का जवाब मांगती हूं। राज आप शैली को कब से जानते हैं,’ कोयल ने भरे गले से पूछा।
‘दो सालों से।’
‘दो साल—-दो साल से आप मुझसे झूठ बोलते आ रहे हैं और मैं पागल आप के हर झूठ को सच मानती रही। उसकी किन बातों ने आप पर जादू कर दिया है।’ कोयल ने भरे गले से पूछा था।
‘उसकी सुंदरता, उसके नखरे, उसकी जिद उसकी अदा वह हॉट है यार, वह जानती है मर्दो को क्या चाहिए।’
मैं बेशर्म की तरह बोलता चला गया। वह नजरे झुकाए सुनती रही फिर धीरे से मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोली। राज मैं कभी तुम्हें छोटा बनाना नहीं चाहती थी इसलिए बताया नहीं। तुम्हें पता है मेरे पापा बहुत बड़े बिजिनेस मैन हैं। ये फैशन, ये नखरे ये जिद, ये अदाएं हमारे खून में है। पापा ने शादी के समय कहा था राज की तनख्वाह ज्यादा नहीं है। पर वह सीधा साधा इंसान है। उससे कभी किसी चीज की डिमांड कर उसे परेशान मत करना, जो चाहिए मुझसे मांग लेना। मैंने पापा से प्रॉमिस करते हुए कहा था, ‘पापा, आपने बचपन से हमारी हर इच्छा पूरी की है, बहुत प्यार दिया है। अब मैं ससुराल जा रही हूं, मेरी जिंदगी राज से जुड़ रही है वह जैसा रखेगा मैं वैसे रहूंगी। कभी कोई डिमांड नहीं करूंगी। मैंने अपनी कसम पूरी करने की हर संभव कोशिश कि पर तुम्हें पाने की तुम्हें खुश रखने की कश्मकश में मैंने तुम्हें ही खो दिया। मैं सन् 2010 में मिस इलाहाबाद चुनी गयी थी, जहां तुमने मुझे देखा था। तुम्हारा घर आना और सादगी से प्रपोज करना पापा को भा गया था। उनकी जिंदगी का उसूल था ‘सादा जीवन उच्च विचार।’ उन्होंने हमें यही संस्कार दिया है। राज जिंदगी में एक बात का हमेशा ध्यान रखना, हमारी आवारा इच्छाएं उन्मादित लहरों की तरह होती है और लहरों पर घर नहीं बसाये जाते, घर बनता है समतल शांत धरातल पर। बस तुम अपना ध्यान रखना’ कहते हुए उसकी आंखें छलक आई थी। वह चुपचाप उठी और उठ कर बच्चों के कमरे में चली गयी। उसकी बात सुनकर मैं अवाक रह गया था। मैं सच में ये तो भूल ही गया था। अथाह समुद्र से निकल कर मैंने उसे लोटे में रख दिया था। वह उसी को अपना संसार समझ कर खुश थी। मैं खुद में इतना मस्त रहा कि कभी यह भी जानने की कोशिश नहीं की वह क्या चाहती है। उसके एक-एक शब्दों ने मुझे अंदर तक कुरेद दिया था। मेरी हिम्मत नहीं हुई उसका सामना करने की। मैंने चुप रह कर इस समस्या का हल वक्त पर छोड़ देना ही उचित समझा और सो गया। मेरे लिए ये सब बहुत आसान था पर कोयल के लिए ये आसान नहीं था।
कोयल मुझसे टूट कर प्यार करती थी और औरत जब किसी से प्यार करती है तो अपने प्यार के लिए सब कुछ बर्दास्त कर सकती है पर किसी दूसरी औरत की छाया तक वह बर्दाश्त नहीं कर सकती। इन बातों से अनजान मैंने तो सीधे उसे मौत की सजा सुना दी थी। सुबह देखा तो कोयल बेहोश थी मुंह से झाग निकल रहा था। हाथ में मंगलसूत्र पकड़ रखा था। वक्त ने अपना फैसला सुना दिया था। हकीकत से टकरा कर जब मुझ को होश आया तो कोयल की बिखरी सांसों को समेटने की भरपूर कोशिश की, पर जिंदगी सबों को दूसरा मौका नहीं देती है। काश मैं रात को उसके साथ होता। उसके दामन में आग लगा कर मैं चैन की नींद सोता रहा। सच कहते हैं जिन्दगी से कभी मजाक मत करना, वरना जिंदगी तुम्हें मजाक बना कर रख देगी।’ कहते हुए राज बिलख पड़ा।
कोयल सांसों के समन्दर में हिचकोले खाते-खाते सांसों की डोर थम सी गयी थी। शांत हो गया था उसका शरीर। डाक्टर के लाख कोशिश करने के बावजूद भी कोयल कोमा में चली गयी थी। थम सा गया था जीवन का एक अध्याय। शांत चित्त पड़ी कोयल को अब जिंदगी से कोई शिकायत नहीं थी।
वह सारी रात दुःख दर्द और अपमान के ज्वालामुखी में झुलसती रही थी। तिनका तिनका जोड़ कर सजाया था उसने अपना आशियाना, बस हवा का एक बवण्डर उठा और पल भर में ही सब कुछ धाराशाई हो गया। रात भर बिखरे तिनकों को समेटती रही। क्या——-कब——-क्यों——–कैसे——में उलझती रही। सुबह होते-होते ये दर्द दिल का नासूर बन गया। अपने दर्द को अपने अंदर ही दफन करने की कश्मकश में उससे लड़ते लड़ते वह हार गयी थी। अपने-पराये, आस-पड़ोस सब हैरान थे कि ये अचानक क्या हो गया। अपनी जगत जननी की ये दशा देख सबों के आंखों से दुःख का सैलाब फूट पड़ा था। कोयल के सारे अंग शिथिल पड़ गये थे। उसकी अधखुली पथराई आंखें राज की आत्मा को खंजर की तरह भेद रही थी। राज उससे लिपट कर पागलों की तरह चीखता जा रहा—-नहीं——–तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा————-कोयल———कुछ तो बोलो—प्लीज बोलो, पर उसके दुख पर दुखी होने वाला अब कोई नहीं था। कोयल के पथराये चेहरे पर विजयी मुस्कान थी।
वह हार कर भी जीत गयी थी। लुटा-लुटा सा राज दो दिन में ही मुरझा सा गया था। शैली अपना आक्रोश भूल कर उसे संभालने की कोशिश कर रही थी। पर राज ने उसे हाथ जोड़ कर मना करते हुए कहा ‘मुझे माफ कर दो और यदि सच में तुम मेरी सहायता करना चाहती हो तो कभी मेरे सामने मत आना, तुम्हारा चेहरा मेरी बेवफाईयों का वह दर्पण है जिसे देखकर मैं पल-पल हजार मौत मरता रहूंगा। प्लीज यहां से चली जाओ।’ शैली की आंखें नम थी। वह सोच कर आई थी चार खरी खोटी सुना कर वह राज से सारे रिश्ते तोड़ लेगी पर राज की हालत देख कर उसका दिल पसीज गया था। वह राज से प्यार करती थी, उससे अलग होना नहीं चाहती थी, पर अब राज को अकेला छोड़ना ही प्रेम की पूर्णाहूति थी। वह उठ कर बाहर चली गयी। कोयल ने जाते-जाते शैली को यह अहसास दिला दिया था ‘प्यार देने का नाम है पाने का नहीं।’
राज बिल्कुल बदल गया था। समय के अन्तराल राज को देखकर पहचानना मुश्किल था। बढ़ी दाढ़ियों के और लम्बे बालों के बीच झांकता एक गंभीर भावहीन चेहरा। बालों की लम्बी चुटिया जिस पर रबर लगे थे। ढीले-छाले कपड़े, पांव में हवाई चप्पल। हमेशा गुमशुम शान्त मानो जिंदगी से अब उसका कोई नाता ही न हो। दोनों बच्चों की परवरिश ही उसका धर्म हो गया था। वह रोज बच्चों को स्कूल भेज कर कोयल के लिए खाना पैक करता और हस्पताल जाकर कोयल को नहलाता धुलाता उसके बाल संवारता, उसे अपने हाथों से खिलाने की कोशिश करता पर कोयल सभी भावनाओं से परे पत्थर की बेजान मूरत की तरह पड़ी थी और उसकी सुनी आंखें छत पर टिकी रहती। उसकी मृत्यु सदृश्य काया में सिर्फ सांसों की पतली सी डोर ही थी, जो जीवन का अहसास कराती थी। उन सांसों को न जाने किसका इंतजार था।
जीवन में कई बार हम उस प्यार का अहसास तक नहीं कर पाते हैं जो हमारा जीवन है। जिंदगी में आती जाती दुःख सुख की लहरें ही हमारे अस्तित्व से हमारा असली परिचय करा जाती है। कोयल जिंदगी की इस सच्चाई से वाकिफ थी। इसलिए उसने खुद को समेटे रखा था पर राज इस बात से अनजान था कि जमीन की धूल हवाओं का दामन थाम कर कितनी भी ऊंची उड़ान भर ले, गिरना उसे जमीं पर ही है। यह बात जब उसे समझ आई तब तक सब कुछ बिखर चुका था। जिंदगी की खूबसूरती सीमाओं में बंध कर है। सीमा लांघती हमारी इच्छाएं, हमारी चाहतें, हमारी लापरवाहियां हमारा उन्माद सागर की उन भयानक लहरों की तरह है जो जब भी किनारे से टकराती है जमीं का बहुत बड़ा हिस्सा काट ले जाती है।
‘प्यार इस सृष्टि का
सबसे अनमोल तोहफा है’
प्यार के बिना
जीवन का कोई मोल नहीं।’