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पाठकीय समीक्षा

जून, 2024 अंक

जाह्नवी पत्रिका का भारत दर्शन विशेषांक अत्यंत अनूठा लगा। संपादकीय में ‘भारत दर्शन और पर्यटन में अंतर’ को विवेचनात्मक ढंग से समझाया गया है। विशेष अनुष्ठान के रूप में प्रदत्त आलेख ‘साक्षात्कार’, ‘उत्तराखंड की चार धाम यात्र’, ‘वेद-वन’, ‘द्वादश ज्योतिर्लिंग’, ‘बद्रीनाथ’, ‘नेशनल पार्क’, ‘चरण स्पर्श’, ‘व्यसन मुक्त भारत’ आदि परिवार के सभी सदस्यों के लिए उपयोगी और ज्ञानवर्द्धक हैं। कहानियां और कविताएँ प्रभावी तथा सारगर्भित लगीं। बाल जाह्नवी की सभी प्रस्तुतियाँ मनोरंजक तथा बाल मनोनुकूल रहीं। कुल मिलाकर यह अंक प्रशंसनीय एवं संग्रहणीय है।
-गौरी शंकर वैश्य ‘विनम्र’, लखनऊ

‘सीता राम गुप्ता’ का लेख ‘किशोरों के जीवन में कितना हस्तक्षेप किया जाय।’ (जाह्नवी मई 2024) अभिभावकों के लिए एक मार्गदर्शक लेख है। शास्त्रें में लिखा है कि ‘लालयित पंचवर्षाणि, दस वर्षाणि ताडयेत, प्राप्ते तु षीडषि वर्षे, पुत्रं मित्रम् वदअरते।’
अर्थात् पांच वर्ष तक पुत्र को लाड़ प्यार दो। उसके बाद दस वर्ष तक उस पूरी निगरानी रखें और सोलह वर्ष का होने पर उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार करें। लेख में भी इसी भावना को व्यक्त किया गया है।
-रोहित कक्कड़, अहमदाबाद
भारत दर्शन अर्थात् तीर्थ स्नान पर जाना और मौजमस्ती के लिए सैर-सपाटे पर जाने में अन्तर है। इस भावना को जाह्नवी के मई 2024 अंक के सम्पादकीय में बड़े तर्कपूर्ण ढंग से बताया गया है। अभी सरकार ने धार्मिक स्थलों में आवागमन की सुविधाएं बढ़ाई हैं। इस से वहां तीर्थयात्री लाखों में पहुंचने लगे हैं। भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ, उस की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। कहते हैं अभी तक एक करोड़ से अधिक लोग दर्शन लाभ के लिए जा चुके हैं। इससे जहां भारत की सांस्कृतिक एकता को बल मिलता है। वहां आर्थिक दृष्टि से रोजगार बढ़ता है। इसे धार्मिक पर्यटन का नाम दिया गया है। यह लोगों में धर्म भावना भी बढ़ाता है, परस्पर एकता के स्वर भी जुड़ते हैं। अतः भारत में मोदी सरकार द्वारा इस दृष्टि से किए गए प्रयास अभिनन्दनीय हैं।
-रमेश चौधरी, चंड़ीगढ़

‘प्रेमलता यदु’ की कहानी (मई 2024) ‘नानी का घर’ में भाई बहनों के परस्पर संवादों को सजाया गया है। उससे अपनी बचपन की स्मृतियां याद आ गई। वास्तव में बालपन की वह कहानियां जीवन भर एक मधुर प्रेरणा देती रहती है। कहानी अच्छी लगी।
-सीमा भारती, पटना

वसीयत कहानी (तरूण कुमार राय) मई 2024 में लेखक ने उन सन्तानों को पोल खोलते हैं जो अपने प्रौढ़ माता-पिता की सम्पत्ति पर नजर तो रखते हैं परन्तु उनकी बुढ़ापे से सेवा नहीं करते। प्रौढ़ अवस्था में व्यक्ति को सेवा और सम्मान चाहिए, इस ओर लेखक ने ध्यान आकर्षित किया है।
-योगेन्द्र कुुमार, नोएडा

जाह्नवी का मई अंक ‘भारत दर्शन’ विशेषांक के रूप में पढ़ने को मिला। इसमें देश और विदेश के दर्शनीय स्थलों के बारे में अच्छी जानकारी दी गई है। ज्योति प्रकाश खरे, डॉ- अशोक रस्तोगी, हरिशचन्द्र पांडे तथा विनम्र सहित सभी के आलेख पसंद आए। अन्य आलेखों में ‘चरणस्पर्श’, ‘व्यसन मुक्त भारत’ ‘आइस फील्ड स्काईवॉक’ भी अच्छे लगे। कवि ‘डा- व्यथित’ की ‘मां का वंदन’ कविता अत्यंत भावपूर्ण है। बाल जाह्नवी में समुद्र में जीव जंतु लेख तथा पहेलियां एवं अन्य जानकारी रुचिकर है।
-नैट्टत्य वैश्य, लखनऊ

भारतीय गोवंश संरक्षण के लेख (मई 2024) में उमेश चन्द्र पोरवाल ने अपने तर्को द्वारा स्पष्ट किया है कि गाँव को आत्मनिर्भर बनाना है तो गोवंश का पालन और संवर्धन गांव में होना चाहिए। कृषि गोबर की खाद से उपजाऊ भी होती है तथा अनेक कुटीर उद्योग भी पनपते हैं। लेख प्रशंसनीय है।
-वासुदेव शर्मा, भोपाल

‘मेरी बहू’ कहानी सर्वेश वार्ष्णेय की (मई 2024) में बहू अपने अभिमान में सास को बोझ समझती थी। परन्तु जब उसके अपने जीवन पर संकट आया तो उसे परिवार में परस्पर संबंधों की महत्ता समझ आयी। जाह्नवी के पारिवारिक कहानियाँ मन को छू लेती हैं।
-रजनी सिंह, नई दिल्ली

गले में खराश के कारणों और उसके इलाज के बारे में लेखक अभय कुमार जैन का विश्लेषण ज्ञानवर्धक है। सीधे दवाईयों से बचना चाहिए। घरेलू टोटके उपयोगी भी होते हैं और उनके कारण शरीर केमीकल युक्त नहीं बनता।
-शरद जैन, मुम्बई

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-सम्पादक

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