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सुखी जीवन प्रबन्धन के लिए 18 सूत्र मंत्र

लेख
गोवर्धन यादव

सुखी जीवन जीने के लिए आपको अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा,
अपना नजरिया बदलना होगा। तो आइये सुखी और सम्पन्न जीवन जीने के कुछ सूत्र,
जो यहां दिए जा रहे हैं। उन्हें आजमाएं।

क्या आप हर कदम पर दुनिया को जीतना चाहते हैं? क्या आप हमेशा सुखी और प्रसन्न रहना चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि लोग आपका सम्मान करें? यदि यह बात किसी युवक से पूछा जाए तो निःसंदेह वह हां ही कहेगा, लेकिन इसके लिए आपको कुछ त्याग-तपस्या करना होगा, कुछ गुण सूत्र साधने होंगे, आप देखेंगे कि वे सारी शक्तियां आपमें समाहित होती जाएंगी और आप न सिर्फ स्वयं सुखी प्रसन्न रहेंगे, बल्कि अपने पास-पड़ोस के लोगों के लिए भी एक आदर्श के पात्र साबित होंगे और उन्हें भी प्रसन्न एवं सुखी रख सकेंगे।
जीवन कभी भी एक सरल रेखा की तरह नहीं होता, कभी वह समतल-सपाट तो कभी उबड़-खाबड़ भी होता है, यदि आप आज सुखी हैं तो कल आप दुखी भी हो सकते हैं, तरह-तरह तरीके की परिस्थितियां निर्मित होती रहती है, बस यह आप पर निर्भर है कि आप उन्हें किस ढंग से लेते हैं और किस तरीके से उन पर विजय प्राप्त करते हैं।
सुखी जीवन जीने के लिए आपको अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा, अपना नजरिया बदलना होगा।
एक सलीका, एक तरीका तथा एक तरकीब लाने की आवश्यकता होगी मतलब स्वयं को मैनेज करने की यहां आवश्यकता होगी, तो आइये सुखी और सम्पन्न जीवन जीने के कुछ सूत्र, जो यहां दिए जा रहे हैं। उन्हें अपने जीवन में उतारें, आप देखेंगे कि आप में वह ऊर्जा, वह शक्ति समाहित होती चली जा रही है।
सुखी व सम्पन्न जीवन जीने के अठारह सूत्रीय महामंत्र
1- सोचना:- सोच दो तरह की होती है, एक सोच नकारात्मक ऊर्जा वाली है जो हर समय आपमें निराशा का भाव भरती रहती है। निराशा का भाव मन में आते ही आप अपने आप को शक्तिहीन समझने लगते हैं। किसी काम को करने में उत्साह नहीं बना रहता। कभी-कभी निराशा इस तरह घेरती है कि आपको संसार ही असार सा नजर आने लगता है और ऐसे समय में आप कोई गलत कदम भी उठा सकते हैं। अतः अपने ऊपर निराशा को हावी न होने दें, फौरन अपनी सोच को बदलने के लिए प्रयास करें और उससे फौरन छुटकारा पाने का उपाय खोजें, इसके लिए आप किसी अच्छी किताब को हाथ में लीजिए और उसमें खो जाइये अथवा कोई ऐसा उपाय खोजिए जिससे आपका मूड उस विचार से आपको दूर ले जाए दूसरी प्रमुख ऊजा जिसे हम सकारात्मक ऊर्जा कह सकते हैं, को अपने जीवन में उतारें, यह ऊर्जा आपको प्रसन्न तो रखेगी ही साथ ही नई-नई सोच से भी भर देगी, आप जिस भी काम को हाथ में लेगे, उसमें आपको सफलताएं प्राप्त होती जाएगी।
2- पूछना:- आपको यदि किसी कार्य की जानकारी नहीं है तो निःसंकोच आप उसकी जानकारियां प्राप्त करें, ताकि आप अपने काम को संपूर्णता के साथ कर सके।
3- करना:- निष्काम भावना से किया गया काम आपको सफलता ही नहीं दिलाता बल्कि सुख के भाव से भी लबरेज कर जाता है।
4- सुधारना:- हर व्यक्ति अपने आपमें संपूर्ण रूप से सही नहीं होता, अतः अपनी कमियों को पहचानें उसे सुधारें, यह कृत्य आपको आत्म संतुष्टि की राह पर ले जाता है।
5- श्रेष्ठता:- श्रेष्ठता के भाव को लेकर चलने का लक्ष्य बनायें, आप शीघ्र ही वह मंजिल पर जायेंगे जिसकी आपको तलाश थी।
6- सुख और तलाश:- केवल अपने लिए ही सुख की लालसा आपको अनेकों तनावों को जन्म दे देती है, वही कार्य करें जिसमें आप समाज का देश का भला कर सकते हैं, दूसरों को सुखी देखकर आप स्वयं भी अपने को सुखी महसूस करेंगे।
7- प्राथमिकता तय करें:- जब तक आप अपना लक्ष्य नहीं बनाते, तब तक सफलता अर्जित नहीं हो सकती। यहां यह कहावत चरितार्थ होती है-‘एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाये’। हमेशा लक्ष्य अथवा प्राथमिकताओं को लेकर चलें।
8- बदलाव लायें:- अक्सर गड़बड़ी यहीं से शुरू होती है कि हम दुनिया को बदलने के सपने पालने लगते हैं, बेहतर तो यह होगा कि …………………………….

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