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सभी विद्यार्थियों, वर्गों व
अभिभावकों के लिए सर्वाेत्तम योजना है
नई शिक्षा नीति

लेख डॅा- उमेश प्रताप वत्स

सैकड़ों वर्षों के संघर्ष के बाद जब भारत 1947 में पूर्ण रूप से स्वतंत्र हुआ तो सबसे पहले भारत के भविष्य के आदर्श एवं श्रेष्ठ निर्माता तैयार करने के लिए शिक्षा को सर्वगुण संपन्न बनाने पर विचार हुआ। प्राथमिक स्तर तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था के बारे में चिंतन किया गया। 1948 में डॉ- राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के गठन के साथ ही भारत में शिक्षा-प्रणाली को व्यवस्थित करने का काम शुरू हो गया था। 1952 में मुदलियार आयोग तथा 1964 में कोठारी आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर 24 जुलाई 1968 में शिक्षा नीति पर एक प्रस्ताव प्रकाशित किया गया जिसमें राष्ट्रीय विकास के प्रति वचनबद्ध, चरित्रवान नागरिकों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया।

वर्तमान में जिस शिक्षा नीति के अन्तर्गत कुछ सुधारों के साथ कार्य चल रहा है, यह मई 1986 में लागू की गई थी। इस दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की समीक्षा के लिए 1990 में आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति तथा 1993 में प्रो- यशपाल समिति का गठन किया गया। इस समिति द्वारा दिये गये सुझावों को शिक्षा में सुधार के लिए लागू किया गया।
भारत में शिक्षा जगत के इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव
विश्व में भारत के बढ़ते कदम और कद के कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अपेक्षित आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी क्योंकि 1986 के बाद शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर सुधार नहीं हो पा रहे थे। पूरे 34 वर्षों के बाद डॉ- कस्तूरीरंजन की अध्यक्षता में भारत के इतिहास में शिक्षा सुधार के लिए वह दिन आया जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का खाका तैयार कर इसकी घोषणा की गई। भारत में शिक्षा जगत के इतिहास में यह सबसे बड़ा बदलाव था। मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रलय के द्वारा नई शिक्षा नीति पेश की गई है। भारत की यह नई शिक्षा नीति इसरो प्रमुख डॉ- कस्तूरीरंजन की अध्यक्षता में की गई है। नई शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020 को घोषित हुई। सन् 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के- कस्तूरीरंजन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
भारत की इस नई शिक्षा नीति से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव होगा क्योंकि भारत में पहले की शिक्षा नीति में बहुत समय से कोई भी बदलाव नहीं हुये थे, जो जानकारी वर्षों पहले हमारे दादा ने प्राप्त की लगभग वही जानकारी हम प्राप्त कर रहे हैं। भारत की विकास की गति को और तीव्र करने के लिए शिक्षा नीति में परिवर्तन करना अत्यंत आवश्यक था। इस आवश्यकता को समझते हुए मोदी सरकार के द्वारा अमृत महोत्सव के वर्ष 2022 में नई शिक्षा नीति का शुभारंभ देशवासियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस शिक्षा नीति के माध्यम से बहुत सारे क्षेत्र में छूट और अत्यधिक लाभ देने की कोशिश की गई है जिससे छात्रें पर पढ़ाई का बोझ कम होगा। छात्र रट्टा मार पढ़ाई ना करके कुछ सीखने योग्य पढ़ाई करेंगे और भारत के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे।
सरकार के द्वारा नई शिक्षा नीति में बहुत सारे अहम बदलाव किए गए हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव करने का प्रमुख कारण भारत को वैश्विक स्तर पर महाशक्ति बनाना है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का
मुख्य उद्देश्य
इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य भारत में अब तक जो शिक्षा प्रदान की जा रही है उस में क्रांतिकारी बदलाव लाना साथ ही भारत के शिक्षा को वैश्विक स्तर पर खड़ा करना है। जैसे हमारे भारत का गौरवमय इतिहास रहा है कि हम पूरी दुनिया को आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षा देते आये हैं। वैसे ही पूर्व की भांति भारत को ज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनाना भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा का सर्वभौमीकरण किया जाएगा साथ ही इसके अन्तर्गत सरकार के माध्यम से पुरानी शिक्षा नीति में बहुत सारे संशोधन किए गए और कुछ नई सुविधा को भी जोड़ा गया है।
भारत की नई शिक्षा नीति के आ जाने से मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रलय को अब शिक्षा मंत्रलय के नाम से जाना जाएगा।
पांचवी कक्षा तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में प्रदान की जाएगी अर्थात् पांचवी कक्षा तक छात्र अपनी भाषा में ही पढ़ाई कर सकते हैं। छात्रें को छठी कक्षा से ही कंप्यूटर और एप्लीकेशन के बारे में जानकारी दी जाएगी साथ ही उन्हें कोडिंग भी सिखाई जाएगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा का सर्वभौमीकरण किया जाएगा। भारत में पहले की शिक्षा नीति के अन्तर्गत 10$2 पैटर्न का अनुसरण किया जाता था परंतु अब इस नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5$3$3$4 के पैटर्न का अनुसरण किया जाएगा जिसके अनुसार 12 साल की स्कूली शिक्षा दी जाएगी साथ ही 3 साल की प्री स्कूली शिक्षा को भी शामिल किया गया है।
भारत की नई शिक्षा नीति के तहत स्टूडेंट को एक बड़ी राहत छठी कक्षा में मिलेगी क्योंकि छठी कक्षा से व्यवसायिक प्रशिक्षण इंटर्नशिप को भी आरंभ कर दिया जाएगा।
सभी स्कूलों को डिजिटल किया जाएगा। हरियाणा में नई शिक्षा नीति के अनुसार विद्यालयों को डिजिटल करना प्रारंभ कर दिया है। जहां एक ओर विद्यालयों को स्मार्ट डिजिटल एलईडी बोर्ड से सुसज्जित किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर दसवीं व बाहरवीं के सभी विद्यार्थियों को टैबलेट बांटे जा रहे हैं ताकि विद्यार्थी जून के ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी डिजिटल माध्यम से अपने अध्यापकों से जुड़ा रहे।
इस शिक्षा नीति के अनुसार सभी प्रकार के कंटेंट को क्षेत्रीय भाषा में ट्रांसलेट किया जाएगा। पहले जैसे साइंस, आर्ट्स तथा कॅामर्स के स्ट्रीम हुआ करते थे उसके अनुसार छात्रें को एक निश्चित विषय की पढ़ाई करनी होती थी लेकिन अब ऐसी व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। उदाहरण के लिए यदि कोई छात्र फिजिक्स का चयन करता हैं तो वह चाहे तो साथ में अकाउंट या आर्ट्स के भी सब्जेक्ट की पढ़ाई कर सकता है।
भारत की नई शिक्षा नीति को लागू करने का सबसे बड़ा उद्देश्य भारत के छात्रें को सक्षम बनाना है। भारत की जो प्राचीन भाषा है उनको केन्द्र में रखते हुए अहम स्थान दिया जायेगा। संस्कृत को आईआईटी के क्षेत्र में भी आगे ले जाया जाएगा, साथ ही यदि विद्यार्थी चाहे संस्कृत भाषा में ही अन्य विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं।
नई शिक्षा नीति के अनुसार वर्चुअल लैब भी विकसित किए जाएंगे।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 को लागू करने के लिए जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार के द्वारा खर्च किया जाएगा।
बोर्ड परीक्षा को भी बहुत आसान कर दिया जाएगा पहले जो छात्र सोचते थे कि बोर्ड परीक्षा के समय में ही थोड़ा बहुत पढ़कर बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर ली जाए इस व्यवस्था को खत्म कर दिया जाएगा। अब छात्रें को साल भर पढ़ाई करनी होगी।
पढ़ाई को आसान बनाने के लिए और छात्रें को समझ में आने योग्य बनाने के लिए पढ़ाई क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्रटवेयर का भी इस्तेमाल किया जाएगा दूसरे देशों की तर्ज पर अब भारत में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर पढ़ाया जाएगा। जो कि बहुत ही रोचक होने वाला है। छात्रें को राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित तीन भाषाएं सिखाई जाएंगी।
पाठ्यक्रम के साथ अतिरिक्त गतिविधियां
भारत की नई शिक्षा नीति 2022 के अन्तर्गत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस नई शिक्षा नीति के आ जाने से बच्चों को अलग-अलग क्षेत्रें में कौशलपूर्ण बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा, साथ ही उन्हें पढ़ाई भी विशेष रूप से कराई जाएगी। उच्च शिक्षा में एम-फिल- डिग्री को खत्म किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत पाठ्यक्रम के साथ ही विशेष अतिरिक्त गतिविधियों को भी जोड़ा जायेगा।
भारत की नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद यह विश्वास किया जा सकता है कि विद्यार्थी के ऊपर से पढ़ाई का बोझ कम होगा और उन्हें सीखने के क्षेत्र में काफी अवसर प्रदान करवाये जायेंगे।
भारत की नई शिक्षा नीति विशेष रूप से चार चरणों में काम करेगी। 5$3$3$4 के पैटर्न को प्रयोग में लेकर विद्यार्थियों की शिक्षा को आगे बढ़ाया जाएगा। इस नए पैटर्न के तहत 12 साल की स्कूली शिक्षा तथा 3 साल की स्कूली शिक्षा शामिल है। यह शिक्षा नीति सरकारी तथा निजी स्कूल दोनों संस्थाओं के द्वारा अनिवार्य रूप से मान्य होगी।
चार चरणों के अन्तर्गत पहली स्टेज फाउंडेशन स्टेज होगी, जिसमें 3 से 8 साल के बच्चे शामिल किए गए हैं, इस स्टेज में तीन साल की आंगनबाड़ी अथवा प्ले स्कूली शिक्षा तथा दो साल की स्कूली शिक्षा जिसमें कक्षा प्रथम व द्वितीय शामिल है। फाउंडेशन स्टेज में छात्रें को भाषा कौशल और शिक्षण के विकास के बारे में सिखाया जाएगा और इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें सबसे रोचक बात यह है कि बच्चों पर ड्रेस कोड को लेकर कोई दबाव नहीं होगा वह मन चाहे कपड़े डालकर आ सकता है। उसे खेल-खेल में ही शिक्षा दी जायेगी।
दूसरी स्टेज प्रीप्रेटरी स्टेज रहेगी। जिसमें 8 से लेकर 11 साल के बच्चे को शामिल किया गया है। प्रीप्रेटरी स्टेज के अन्तर्गत कक्षा तीन से कक्षा पांच के बच्चे शामिल होंगे और इस स्टेज में बच्चों की भाषा और संख्यात्मक कौशल के विकास पर ही शिक्षकों का उद्देश्य रहेगा। प्रीप्रेटरी स्टेज तक बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा।
तीसरी स्टेज है मिड्लि स्टेज जिसके अंतर्गत कक्षा छः से कक्षा आठ के बच्चे शामिल होंगे। लिटिल स्टेज के तहत कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाया जाएगा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भी प्रदान की जाएगी। इस स्टेज में पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायी शिक्षा के अन्तर्गत पेंटिंग, कारपेंटर, बिजली, हार्डवेयर, ब्यूटीशियन, सिलाई आदि का काम भी सिखाया जायेगा।
नई शिक्षा नीति की चौथी स्टेज सेकेंडरी स्टेज रहेगी। सेकेंडरी स्टेज के अन्तर्गत कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चों को शामिल किया गया है। सेकेंडरी स्टेज में जैसे बच्चे पहले साइंस कॉमर्स तथा आर्ट्स लेते थे, वर्तमान में यह अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। सेकेंडरी स्टेज के तहत बच्चे अपने पसंद के विषय ले सकेंगे और आगे की पढ़ाई कर सकेंगे। उदाहरण के लिये यदि बच्चा साइंस के साथ कॉमर्स या फिर कॉमर्स के साथ आर्ट्स की पढ़ाई करना चाहता है तो इसकी भी अनुमति होगी।
वे सब बातें जो विद्यार्थी की उन्नति के लिए सहायक हो
अतः नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 में वे सब बातें समाहित है, जो विद्यार्थी की उन्नति के लिए सहायक हो सकती है। अभिभावकों के लिए भी यह नीति बहुत ही अनुकूल है। मुझे ध्यान है जब मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रलय बहन स्मृति ईरानी के पास था तो उन्होंने बहुत पहले ही इंडिया टीवी के मंच पर एक इंटरव्यू में बताया था कि हम ऐसी शिक्षा नीति लेकर आयेंगे जिसमें ग्रेजुएशन का पहला साल यदि ग्वालियर में किया है तो पापा की ट्रांसफर पूना होने पर दूसरा साल वहां से कर सके और तीसरा साल लखनऊ आदि से भी कर सके। यदि अभिभावक का कहीं अन्य प्रदेश में स्थानांतरण हो जाये तो उसे अपने बच्चे के लिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। एक खास बात यह भी है इस नई शिक्षा नीति में कि यदि ग्रेजुएशन का एक ही साल किया है और किन्हीं कारणों से विद्यार्थी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाता तो उसको ग्रेजुएशन सर्टीफिकेट मिलेगा जिसके आधार पर वह कभी भी आगे की पढ़ाई जारी कर सकता है या सर्टीफिकेट के आधार पर नौकरी कर सकता है।
नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन स्वतः घोषणा के आधार पर मंजूरी मिलेगी। मौजूदा इंस्पेक्टर राज खत्म होगा। अभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग नियम हैं। भविष्य में सभी नियम एक समान बनाए जाएंगे। फीस पर नियंत्रण का भी एक तंत्र तैयार किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति मिलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे भारत के स्टूडेंट्स विश्व के बेस्ट इंस्टीट्यूट व यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले सकेंगे। उन्हें विदेश नहीं जाना पड़ेगा। अतः यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं है कि यह भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय शिक्षा नीति है।

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