लेख डाॅ. मनोहर भंडारी, एम.बी.बी.एस.,एम.डी.
इस दुनिया की सबसे प्राचीन जीवित भाषा में कुछ जादुई है, जो इसकी जीवनशक्ति को सदैव जीवन्त रखता है। संसार में संस्कृत ही एकमात्र ‘संस्कृत’ (जिसका अर्थ है उत्तम) भाषा है।
कोई अन्य भाषा स्वयं को संस्कृत कहने का साहस नहीं कर सकती। संस्कृत का अर्थ है≦क (पूर्ण या अच्छी तरह से) $कृत (बनाया हुआ) वैदिक काल में संस्कृत या वैदिक संस्कृत को ‘देवभाषा’ या गिरवाणी’ (दोनों का अर्थ देवताओं की भाषा) कहा जाता था।
विश्व के अनेक देशों के वैज्ञानिकों ने अपने शोधें के निष्कर्ष के उपरान्त बताया है कि संस्कृत एक पूर्ण और वैज्ञानिकता से परिपूर्ण भाषा है। इसको पढ़ने मात्रा से मस्तिष्क में सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं, स्मरणशक्ति में अभिवृद्धि होने लगती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार संस्कृत मात्रा एक भाषा नहीं है, अपितु विश्व धरोहर है। जब से संस्कृत पहली बार यूरोपीय विद्वानों के बीच पहुंची, तब से आज तक यह भाषा विज्ञान की दुनिया को हिला रही है। यदि दुनिया में कोई ऐसी भाषा है जिसकी संरचना (अर्थात धवन्यात्मकता और व्याकरण) के लिए अधिकतम शोध किए जाते हैं, तो वह संस्कृत है।
शोध से पता चला है कि संस्कृत भाषा के धवन्यात्मकता अर्थात् स्वरविज्ञान (फोनेटिक्स) की जड़ें शरीर के विभिन्न उर्जा बिंदुओं में होती है और संस्कृत पढ़ना, बोलना या पढ़ना इन बिंदुओं को उत्तेजित करता है, जिससे रक्त संचार में वृद्धि होती है और उर्जा का स्तर भी बढ़ता है, जिससे रोगों के विरुद्ध प्रतिरोध, मन को आराम और तनाव में कमी आती है। रक्तचाप, मधुमेह, कोलेस्ट्राॅल आदि नियंत्रित रहते हैं। इस विषय में अमेरिकी हिन्दू विश्वविद्यालय ने समय साध्य अध्ययन किए हैं।
स्मरणशक्ति की दृष्टि से भी संस्कृत को नासा के वैज्ञानिकों ने श्रेष्ठ निरूपित किया है। वैज्ञानिको का मानना है कि संस्कृत पढ़ने से गणित और विज्ञान की शिक्षा में आसानी होती है क्योंकि इसको पढ़ने से एकाग्रता आती है। रचनात्मक और कल्पनाशक्ति को बढ़ावा मिलता है। संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी भाषा है, जिसे बोलने में जीभ की सभी मांसपेशियों का उपयोग होता है।
संस्कृत सीखने पढ़ने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार होता है। विद्यार्थी गणित, विज्ञान आदि जैसे विषयों मेें बेहतर अंक प्राप्त करने लगते हैं। संस्कृत सीखने से स्मरणशक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। इन्हीं गुणों के कारण जेम्स जूनियर स्कूल, लंदन ने संस्कृत को अनिवार्य कर दिया है। इस स्कूल के विद्यार्थी अनेक वर्षों से टाॅप करने वालों में सम्मिलित हैं। इसका अनुसरण आयरलैंड के कुछ स्कूलों ने भी किया है।
अमेरिका के फेयरफील्ड, आयोवा स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेंट के साइकोफिजियोलाॅजी लैब के निदेशक डाॅ. फ्रेड ट्रैविस ने अपने शोध में पाया कि संस्कृत पढ़ने मात्र से मस्तिष्क में वे सभी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दिए जो गहन ध्यान की अवस्था में मिलते हैं।
अमेरिका में संस्कृत को समर्पित एक विश्वविद्यालय है और नासा में भी संस्कृत पाण्डुलिपियों पर शोध करने के लिए एक पृथक से विभाग है। यह हमारे लिए अत्यंत ही गौरव का विषय है कि नासा ने संस्कृत को एक अत्यधिक नियमित भाषा निरूपित किया है। और लिखा है कि यह पूरे भूमण्डल पर एक मात्रा स्पष्ट बोली जाने वाली भाषा है।
फोब्र्स पत्रिका ने अपने जुलाई 1987 के अंक में विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के प्रकाश में लिखा था कि संस्कृत सर्वश्रेष्ठ कंप्यूटर अनुकूल भाषा है। नासा के एक वैज्ञानिक की रिपोर्ट है कि अमेरिका संस्कृत भाषा पर आधारित छठी और सातवीं पीढ़ी (जनरेशन) के सुपर कंप्यूटर बना रहा है, क्योंकि कम्प्यूटर की समझ के लिए संस्कृत बहुत ही उपयुक्त भाषा है। छठी पीढ़ी के लिए परियोजना की समय सीमा 2025 और 7 वीं पीढ़ी के कंप्यूटर के लिए 2034 है। इसके साथ ही पूरे विश्व में संस्कृत सीखने की दिशा में एक महाक्रान्ति का सूत्रपात होगा।
आश्चर्य की बात यह है कि संस्कृत केवल भाषा नहीं है, बल्कि संस्कृत मानव विचार और आत्मा के बीच, भौतिकी और तत्व मीमांसा के मध्य सूक्ष्म और स्थूल के बीच, संस्कृति और कला के बीच प्रकृति और उसके रचियता तथा सृजक और सृजन के बीच एक मौलिक वाहक है।
नासा के शोधकर्ता श्री रिक ब्रिग्गस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मैगजीन में लिखा है कि भारत के प्राचीन समय के ज्ञानी, सत्य की खोज में इतने समर्पित थे कि उन्होंने इस उद््देश्य के लिए एक सटीक उपकरण का प्रयोग किया, अर्थात ‘संस्कृत’ भाषा का। संस्कृत की व्याकरण एवं संरचना ऐसी है कि उसके व्याख्यान मात्रा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रणाली भाषा के अभिप्राय को आसानी से समझ सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में होने वाली आधुनिक रिसर्च का मूल हजारों वर्षो पूर्व संस्कृत में सन्निहित है।
महान भाषावादी और अमेरिका में लिंगविस्टिक सोसाइटी के संस्थापक लियोनार्द ब्लूमफिल्ड ने पाणिनि अष्टाध्यायी के अध्ययन के बाद कहा है कि संस्कृत मानवीय बुद्धिमता का महानतम मंदिर है।
यूनेस्को ने भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में ‘संस्कृत वैदिक जाप’ को जोड़ने का निर्णय लिया है, यूनेस्को ने माना है कि संस्कृत में जाप से शरीर और मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
साउथ एशिया इंस्टीटयूट, यूनिवर्सिटी आॅफ हैडलबर्ग, जर्मनी के क्लासिकल इंडोलाॅजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. एक्सेल माइकल्स के अनुसार 15 वर्ष पूर्व हमने संस्कृत का पाठयक्रम यह सोचकर शुरू किया था कि दो तीन साल में बंद करना पड़ेगा, परन्तु हमें संख्या निरंतर बढ़ाना पड़ रही है, 34 देशों के ढाई सौ से अधिक विद्यार्थी यहां से प्रशिक्षित हो चुके हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और यूरोप के विद्यार्थी हैं। जर्मनी में विद्यार्थियों की जोरदार मांग के चलते 14 विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है। संस्कृत फीवर ग्रिप्स जर्मनी शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में इस विषय में विस्तृत जानकारियां हैं। डाॅ. एक्सेल माइकल्स कहते हैं कि हमें आवेदन अस्वीकार करना पड़ रहे हैं।
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वे अन्तरिक्ष टेªवलर्स को संदेश भेजते थे तो उन संदेशों में प्रयुक्त शब्दों का स्थान पलट जाता था। इस कारण से संदेश का अर्थ ही बदल जाता था। कई भाषाओं का उपयोग किया, परन्तु समस्या जस की तस रही। अन्ततः हमने संस्कृत का चयन किया, क्योंकि इसमें शब्दों के स्थान परिवर्तन से अर्थ नहीं बदलते हैं।
संस्कृत 21 वीं सदी के लिए एक आदर्श शैक्षिक उपकरण-शीर्षक से प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार संस्कृत जीवन के संगीतमय, कलात्मक और रचनात्मक पहलुओं को बढ़ाती है और संपूर्ण मानव जाति की अन्तर्निहित एकता की ओर संकेत करती है। संस्कृत की मनमोहक और शुद्ध ध्वनियों के स्पंदनात्मक गुण कुछ विशेष है, जिनके अपने सकारात्मक प्रभाव हैं। जब अच्छी तरह से बोला या गाया जाता है, तो संस्कृत आराम देती है, संतुष्टि और भावनात्मक पोषण प्रदान करती है। इसका माधुर्य, लय और अभिव्यक्ति का सटीक संयोजन आकर्षित करता है। जो संस्कृत गाने वाले को ‘यहां और अभी’ में आनन्दित करता है। यह अनुभव उसे बारम्बार संस्कृत पढ़ने और गाने के लिए विवश करता है। संभवतः इसीलिये संस्कृत में गायन और पठन-पाठन की परंपरा हजारों वर्षो से सशक्त बनी हुई है।
संस्कृत और स्वास्थ्य
एक चिकित्सक होने के चलते मेरा ध्यान स्वाभाविक रूप से संस्कृत पढ़ने से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभों की ओर अधिक जाता है, उसकी सूची देखकर आपको अपनी सांस्कृतिक धरोहर ‘संस्कृत’ पर अत्यधिक गौरव का सहज अनुभव होगा, क्योंकि ये लाभ पाश्चात्य और अन्य देशों के वैज्ञानिकों ने अपने शोधों के निष्कर्ष के रूप में प्रस्तुत किए हैं।
अमेरिकन हिन्दू यूनिवर्सिटी के अनुसार नित्य प्रति संस्कृत मेें बात करने वाले व्यक्ति उच्च रक्तचाप और मधुमेह से मुक्त हो जाते हैं।
आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पीच थेरेपी में संस्कृत भाषा श्रेष्ठ सिद्ध हुई है। अमेरिका में स्पीच थेरेपी के लिए संस्कृत को स्वीकृति मिल चुकी है।
संस्कृत पढ़ने से मस्तिष्क की कार्य पद्धति (फक्शनिंग) में वृद्धि।
एकाग्रता में वृद्धि।
विद्यार्थियों को अधिक अंकों की प्राप्ति क्योंकि गणित और विज्ञान की समझ में आश्चर्यजनक वृद्धि
स्मरण शक्ति में वृद्धि।
शरीर के उर्जा बिन्दुओं को स्टिमुलेट करती है।
ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, हानिकारक कोलेस्ट्रोल की मात्रा के नियंत्रण में लाभदायक।
अस्वस्थता की संभावनाएं कम हो जाती है।
रक्त संचार बढ़ जाता है।
तनाव में कमी आ जाती है।
मस्तिष्क प्रशान्ति (रिलेक्स) को प्राप्त होता है।
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