Pradhanmantri fasal beema yojna
Homeप्रेरकसंकल्प सेसुधर जाती है आदत

संकल्प से
सुधर जाती है आदत

लेख पूनम पांडे

मार्च, 2023 अंक
नवसंवत विशेषांक

कई लोग अपनी अच्छी आदत के कारण कई उपलब्धि हासिल कर लेते हैं और कई लोग खराब आदतों के कारण पूरी तरह असफल हो जाते हैं। अच्छी आदत अपनाना और बुरी आदत त्यागना बहुत ही आसान है।

किसी की कोई भी आदत आसमान से नहीं टपक जाती। हर आदत की एक वजह होती है। आदत या तो किसी होड़ से प्रेरित होकर लग जाती है जैसे कि किसी में हर तीसरे दिन पार्टी करने, हमेशा महंगे परिधान पहनने और आडंबर करने की आदत होती है। या आदत किसी चीज पर पर्दा डालने के लिए पाल ली जाती है जैसे कि अपनी कमी छिपाने को औरों के मीन मेख निकालना, हर समय किसी न किसी की जासूसी करना, इसके अलावा किसी चुनौती या तनाव से डर जाने पर भी आदतें पाल ली जाती हैं जैसे कि बहुत ज्यादा चाय काफी का सेवन करना या धूम्रपान करना, बार-बार सर दर्द की गोली खाना भी किसी समस्या से भागने की आदत ही होती है।
एक महान दार्शनिक ने आदतों के बारे में ठीक ही कहा है कि ‘आदत तो आदत ही है और किसी भी व्यक्ति द्वारा यह एक बार में एक झटके से अलविदा नहीं कर दी जाती। हां, हौले हौले तो जरूर मिटाई जा सकती है।’ सच पाल पोसकर अपनी बनाई गई यह आदत एक ऐसी ही चीज हैं जो कई लोगों को मीठे जहर की तरह धीरे-धीरे बिलकुल बेकार कर देती है, उदाहरण के लिए हमेशा सोशल मीडिया में रमने की आदत या मनोरंजन के लिए तकनीकी गैजेट, या किसी स्क्रीन में डूबे रहने की आदत। मीनू के साथ ऐसा ही हुआ उसको हर दिन पांच घंटे कोई न कोई वेब सीरीज एक ही दिन में पूरी देखकर खत्म कर देने की आदत लग गई। एक साल बाद जब वह अपनी आंखों से पानी गिरने और दर्द होने की परेशानी तथा बेचैनी, घबराहट, हाईपरटैंशन आदि के इलाज के लिए चिकित्सक से मिली, तो वहां पर पूछे गये सवालों के जवाब देते समय बिल्कुल ही दंग रह गई कि इतने मन से समय लगाकर देखी गई उन सीरियल की नायिका नायक का नाम वहां की लोकेशन या उसकी कहानी तक मीनू को याद नहीं आ रही थी। तब उसका माथा ठनका और वह उस दिन से ही संकल्प लेकर जुट गई कि यह एक खराब आदत है जो उसको वास्तविकता से कहीं कल्पना में भटका रही है और अब वह यह आदत छोड़ ही देगी। उसने बागवानी और कुकिंग करके इन गैजेट पर निर्भरता हौले-हौले ही सही पर नहीं के बराबर कर दी। इसमें उसको तीन महीने लगे पर वह एकदम बदल चुकी थी। इसी तरह नीमा को अपने फोन पर हर रोज बीस मिनट एक कहानी पढ़ने की आदत लग गई। नीमा ने कहानी पढ़कर उसका अपनी भाषा में विश्लेषण करना भी शुरू कर दिया। एक साल बाद वह दिन आया कि उसे अपने शहर में शानदार कहानी आलोचक की पहचान मिल गई। नीमा की अनुशासित आदत उसके सर का ताज बन गई।
सच है तो है कि आदत ही है जो बर्बाद और आबाद दोनों ही काम करती है। कई लोग अपनी अच्छी आदत के कारण कोई उपलब्धि हासिल कर लेते हैं और कई लोग खराब आदतों के कारण पूरी तरह असफल हो जाते हैं।
कनु को जब अपनी जिंदगी कुछ निराशाजनक लगी तो वह तनु के पास गई कि शायद अवसाद मिटाने की कुछ सलाह मिल जायेगी। उसकी परेशानी भांपकर तनु ने कहा कि यह आसान है। अच्छी आदत अपनाना और बुरी आदत त्यागना बहुत ही आसान है। सबसे पहले एक खाली कागज लेकर उसमें अपनी हर घंटे की दिनचर्या लिख दो।
कनु ने सब लिखा कि, ‘वह सुबह नौ बजे उठती है और ग्यारह से तीन घंटे काम करती है उसके बाद कुछ भी फास्ट फूड मंगवा कर वह खा लेती है। फिर चार से सात काम करती है। फिर से बाहर का खाना खाकर देर रात तक फोन पर रहती है। व्यायाम योग पैदल चलना उसे आता नहीं। वह किसी सामाजिक संस्थान से नहीं जुड़ी जो वेतन है बस खुद पर ही खर्च करती है। हर महीने परिवार से मिलने जाती है। वहां भी आराम करती है। परिवार में सामंजस्य से उसका कोई लेना देना नहीं।’ जब कनु ने यह सब लिखा तो तनु ने बताया कि इस सप्ताह बस दो आदतें सीख लो, एक तो बीस मिनट दौड़ना और दूसरा अपने परिवार के किसी जरूरतमंद सदस्य को जरूरी सामान भेज दो। कनु ने बस इतना ही किया और उसका परिणाम यह हुआ कि उसको बहुत प्यार मिला और वह हर सप्ताह किसी न किसी पारिवारिक सदस्य को कुछ न कुछ उपयोगी चीजें भेजने लगी। दौड़ने से यादाश्त शानदार हो गई और भूख-खुलकर लगने लगी। अब कनु ने तनु की सलाह मानकर मोबाइल का समय सीमित कर दिया, नींद गहरी आने लगी। हर समय मन अच्छा रहने लगा। परिवार में इतना स्नेह मिलता कि कनु और मेहनती होती गई। दो साल बाद जिसने कनु को देखा वह देखता रह गया। दरअसल कनु बहुत ही अनुशासित लोगों के साथ उठने बैठने लगी थी, तो उसका प्रभाव कनु पर भी पड़ रहा था। इससे वह खुद में परिवर्तन करती जा रही थी। साथ ही कनु अपनी आरामतलबी, मतलबीपन जैसी बुरे आदतों को दूर करने लगी थी। यों भी हर बुरी आदत का अंजाम बुरा ही होता है। अगर आप में भी कोई बुरी आदत है जिस कारण आप परेशानी झेल रहे हैं, तो इस अंजाम को याद रखें। मिसाल के तौर पर हर चार दिन बाद किटी में रहना और अनाप शनाप खरीदारी की आदत। यह आदत बच्चों से दूर कर देगी। घर में फालतू सामान का ढेर होगा और चिड़चिड़ापन होने लगेगा। इसलिए एक दिन जब आप इस बुरी आदत का अंजाम से डरने लगेंगे तो तय हैं कि आप महीने में एक या दो किटी और जरूरी खरीदारी पर ही फोकस करेंगे और बुरी आदत को छोड़ देंगे। अधिकतर समाज मनोवैज्ञानिक यह मानते हैं कि किसी भी खराब आदत से छुटकारा पाने के लिए हमें एक नयी अच्छी आदत डालनी होगी। मतलब कि अगर हम अपनी किसी खराब आदत से बहुत परेशान हैं, जो हमको सफल होने से रोक रही है तो हमको उस आदत को कैसे रोकने या उस आदत से होने वाले नुकसानों से ज्यादा, एक ऐसी नई अच्छी आदत अपनानी होगी। एक ऐसी अच्छी नए आदत के फायदों के बारे में सोचना होगा जो हमें सफलता कि ओर ले जा सके। यदि हम ऐसी आदत अपना लेते हैं तो हमारे ये अच्छी आदत उस बुरी आदत से रिप्लेस हो जाती है उसकी जगह ले लेती है।
मिसाल के तौर पर आभा को हर किसी से जलन होती और वह हर दिन किसी न किसी की बुराई आदि में बहुत समय बरबाद कर देती। जब वह खुद अशांत रहने लगी तो उसने खुद यह आदत बदली सबसे पहले वह अपने भीतर एक शुक्रिया भाव ले आई और सबसे पहले अपनी खुद की सारी बुराइयों की एक लिस्ट बना ली। अब वह हर दिन किसी न किसी की खुल कर प्रशंसा करती और दिल से करती। बस दो तीन सप्ताह बाद आभा का पूरा मन बदल गया उसके विचार बदले और वह सकारात्मक रहने लगी। हमेशा याद रखना चाहिए कि एक दिन समाज समूह मित्र मंडली आदि में यह आदत ही हमारी पहचान बन जाती है। अतः हमको अपनी आदतों पर एक सच्चे और खरे आलोचक की तरह बारीक नजर रखनी चाहिए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments