स्वास्थ्य के लिए घातक
लेख
गौरी शंकर वैश्य ‘विनम्र’
स्वास्थ्य विशेषांक
जुलाई, 2023
आज मोबाइल जीवन की आवश्यकता बन गया है। आम जन जीवन जैसे मोबाइलमय हो गया है। इस छोटे से उपकरण ने जीवन शैली को जितना प्रभावित किया है, उतना अन्य किसी ने नहीं। शहर हो या गांव, कस्बे हो या महानगर, सभी जगह मोबाइल की धाक देखते ही बनती है।
दिनचर्या में सम्मिलित है
मोबाइल
मोबाइल आज व्यक्ति की दिनचर्या में इस सीमा तक प्रविष्ट हो चुका है कि वह प्रातः से रात गए तक उसी से चिपका रहता है। कहीं आते-जाते या खाते-पीते उसका साथ नहीं छोड़ता। यहां तक कि रिक्शावाला भी धीरे-धीरे रिक्शा चलाता है तो उसके एक हाथ में मोबाइल पकड़े हुए कनपटी से सटाए रखता है। साइकिल वाला कान में इयरफोन लगाकर मोबाइल पर गानों की लय पर पैडल मारता है। बाइकवाला भी व्यस्त सड़क पर मोबाइल को गर्दन और कंधे के बीच दबाकर बातें करता रहता है। कार चालक एक हाथ से स्टीयरिंग संभालता है, तो दूसरे हाथ में मोबाइल से वार्तालाप जारी रखता है। सिनेमा हाल, बाजार, मॉल, कार्यालय, टेªन, बस सब जगह मोबाइल की माया दृष्टिगोचर होती है। भले ही इससे दूसरे को कष्ट हो या दुर्घटना हो जाए, किसी को कोई चिंता नहीं।
सुविधाओं के लिए मोबाइल का प्रयोग बुरा नहीं
मोबाइल की उपयोगिता, उन सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए है, जो हमें उसने जीवन को सहज बनाने के लिए दी है। हम कहीं भी उसके द्वारा किसी से भी आवश्यक बातें कर सकते हैं। उसके ढेर सारे कार्य जो दैनिक जीवन में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। टॉर्च, ट्रॉजिस्टर, कैमरा, गेम, गाने, एसएमएस, मूवी, इंटरनेट सुविधा, घड़ी, अलार्म आदि सुविधाएं छोटा सा मोबाइल सेट उपलब्ध करा रहा है। जीवन से जुड़े कार्यो तथा प्रशासनिक कार्यो के साथ मोबाइल का प्रयोग ऑनलाइन कक्षाओं के लिए भी होने लगा है। आज एक आदमी के पास दो से पांच तक मोबाइल होना कोई बड़ी बात नहीं। संचार क्रांति ने भारतीय समाज को मोबाइल संस्कृति से आच्छादित कर दिया है।
मोबाइल संस्कृति से समाज पर
पड़ रहे कुप्रभाव
आज अपराधों को बढ़ावा देने में मोबाइल की भूमिका है। सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान, अपराध से जुड़े लोगों को खूब लाभ पहुंचा रहा है। कानून और पुलिस से बचने के लिए कई-कई सिम अपराधियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे हैं। जेल में बंद अपराधी भी वहां से मोबाइल के माध्यम से अपराध करवा रहे हैं। मोबाइल अपसंस्कृति ने मान मर्यादा पर दाग लगाया है और वैचारिक प्रदूषण को फैलाया है। मोबाइल के अश्लील संदेशों ने बच्चों और युवाओं को दिग्भ्रमित किया है।
मोबाइल स्वास्थ्य के लिए
अत्यंत घातक
मोबाइल ने हमारी चिंतनशीलता और ध्यान शक्ति को कम किया है। मोबाइल से निकटता के कारण छात्र पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं। छात्र मोबाइल पर चिपके रहने के कारण कीमती समय बर्बाद करते हैं। मानसिक स्तर पर भी मोबाइल ने शांति छीनी है, इससे लोगों की जीवनचर्या अस्त-व्यस्त हो गई है।
आइए देखें, मोबाइल स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है।
मोबाइल के कारण मानव शरीर में बहुत सारी बीमारियां हो जाती हैं। इससे निकलने वाले इलेक्ट्रो मैग्नेटिक विकिरणों से डीएनए क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अधिक प्रयोग से व्यक्ति मानसिक रोगी, कैंसर, ब्रेनट्यूमर, मोटापा, मधुमेह, हृदयरोग, आर्थराइटिस, अल्जाईमर आदि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है। युवाओं में बहरे होने की समस्या भी आ रही है।
मोबाइल को जेब में, सीने या शरीर से सटाकर रखने से, इससे विकिरण से निकलने वाली तरंगों से हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। पैंट में बनी जेब में रखने से शुक्राणुओं में कमी आ सकती है।
मोबाइल के अश्लील वीडियो, गाने या वीडियो गेम्स बच्चों को गलत रास्तों पर भटका सकते हैं। वे इसे देखने के लिए रात-रातभर जागते हैं, जिससे वे अनिद्रा, तनाव, चिंता, आलस्य और अवसाद के शिकार हो जाते हैं।
कुछ बच्चे या युवा माता-पिता से छिपाकर आपत्तिजनक सामग्री, घर की लाइट बुझाकर या रजाई के अंदर मोबाइल चलाकर देखते हैं अथवा किसी मित्र से वार्तालाप करते हैं। इससे उनकी आंखें खराब हो सकती हैं, मस्तिष्क कमजोर होता है। आंखों में विजन सिंड्रोम, लालिमा छाना, जलन, धुंधली दृष्टि, सूखी आंखें आदि समस्या हो सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं द्वारा मोबाइल का अधिक प्रयोग करने से गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ता है। इससे शिशु के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसकी मानसिक विकास रुक सकता है।
मोबाइल का इयरफोन लोग बातचीत के लिए प्रयोग करके, घंटों गाने सुनने के लिए करते हैं। इससे बहरापन, चक्कर आना, थकान, सिरदर्द तथा रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मोबाइल ने लोगों के बीच ध्यान के स्तर को कम किया है। इसका घातक प्रभाव मार्ग दुर्घटनाओं में वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है। मोबाइल के द्वारा जीवन में अत्यधिक हस्तक्षेप से लोगों के बीच की दूरियां बढ़ रही हैं, इससे घर में ही व्यक्ति एकाकी महसूस करते हैं। आपस में वार्तालाप न होने से मानसिक आवेग और संवेदनाएं मर रही है, इससे वास्तविक सुख शांति नहीं मिल पाती और दुष्परिणाम परिवार में विघटन के रूप में देखने में आ रहे हैं।
मोबाइल के लाभ और हानि दोनों ही सबको पता हैं, फिर भी लोग अति से बाज नहीं आते। मोबाइल का प्रयोग हमें सोच, समझकर और विवेक से करना चाहिए। इसका अत्यधिक प्रयोग हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन सकता है। इसको सदैव पर्स में रखकर शरीर से दूर रखना चाहिए। इसके दुष्प्रभावों के प्रति सजग और चेतन रहकर, बचाव के उपाय खोजने चाहिए। बच्चों, छात्रें और युवकों को इसके सीमित और सुरक्षित प्रयोग के लिए सावधान करना आवश्यक है। इसके लिए अभिभावकों को स्वयं देखना होगा कि उनकी संतान मोबाइल का सही प्रयोग करे। समय-समय पर उनके मोबाइल की जांच करें कि कहीं वे इसका दुरूपयोग तो नहीं कर रहे हैं। ध्यान रखें, मोबाइल ज्ञान का भंडार है, समस्याओं को उत्पन्न करके उनके निवारण का हथियार नहीं।