स्वाधीनता विशेषांक
अगस्त, 2023
स्कूल इंस्पेक्टर की जांच
स्कूल, अध्यापिका की नौकरी करते हुए मुझे मात्र 1 सप्ताह ही गुजरा था। एक दिन अचानक स्कूल इंस्पेक्टर जांच के लिए आये और चुपचाप मेरे वर्ग में पीछे जाकर बैठ गए। मैं एकदम घबरा गई और जल्दी में पढ़ाते-पढ़ाते ब्लैक बोर्ड को साफ करने वाले कपड़े को रूमाल समझ कर अपने चेहरे पर आये पसीने को पोंछ लिया तथा फिर जोश और जिम्मेवारी से पढ़ाने में व्यस्त हो गयी। बच्चे बार-बार मेरे चेहरे की तरफ देख कर मुस्करा रहे थे। कुछ समय बाद स्कूल इंस्पेक्टर उठ कर बाहर निकल गये और मुझे बाहर बुला कर बताया कि चेहरे को साफ कर लो और आत्मविश्वास पैदा करो। सारी बातों को समझ कर मैं बुरी तरह झेंप गयी।
-कुसुम रंजन, वाराणसी
अच्छा अब मैं चलता हूं
मेरी दीदी की मंगनी हो चुकी थी। विवाह की तारीख तय नहीं हो पायी थी। मेरे होने वाले जीजा जी अक्सर हमारे घर आते रहते थे तथा उनकी कोशिश यही रहती थीं कि ज्यादा से ज्यादा समय तक दीदी के पास रहें। इससे दीदी शर्म के कारण परेशान होते रहती थी।
एक दिन हमारे होने वाले जीजा जी काफी देर से घर में गप्पे मार रहे थे। दीदी परेशान हो रही थीं। अचानक बातों ही बातों में उन्होंने पूछा, ‘अच्छा मैं क्या कह रहा था?’ उनका इतना पूछना था कि दीदी ने तपाक से कहा, ‘आप कह रहे थे कि अच्छा अब मैं चलता हूं।’ यह सुनकर वे बिल्कुल झेंप गये जबकि बाकी सभी लोग हंस पड़े।
-इला कपूर, चंडीगढ़
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