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देश मना रहा है अमृत महोत्सव

स्वाधीनता विशेषांक
अगस्त, 2023

साक्षात्कार

महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय (हि.प्र.) के कुलपति
डा. नन्द किशोर जी गर्ग से अन्तरंग वार्त्ता

डा. नन्द किशोर गर्ग महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपति हैं। महाराजा अग्रसेन इन्स्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चेयरमैन हैं। शिक्षा के क्षेत्र में गत 2-3 दशकों से जुड़े हैं। दिल्ली के स्कूल विद्यालयों विशेष रूप से सर्वोदय विद्यालय, आदर्श विद्यालयों के संदर्भ में इनका योगदान सराहनीय रहा है।
राजनीति में भी दिल्ली भाजपा के शीर्ष नेताओं में रहे हैं। विधायक भी रहे हैं। कई अस्पतालों की व्यवस्था में भी उनका सराहनीय योगदान है। मूलतः वह एक विचारक हैं जो समाज की नब्ज को पहचानते हैं और समाज के हित में होने वाले हर कार्य में सहयोग देते हैं। उन से हुई बातचीत के कुछ मुख्य अंश।
प्रश्न: आज भारत अपने स्वाधीनता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। इसकी प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?
उत्तर: अब भारत की आजादी को प्राप्त किए 76 वर्ष हो जाएंगे। मोदी जी ने 75 वे वर्ष से मोदी ने आजादी के गुणगान का जो अभियान चलाया जिसमें भूले बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों को विशेष कर महिलाओं, आदिवासियों को, जिनका नाम कहीं आता ही नहीं था, और कुछ परिवारों तक ही सीमित हो गई थी कि बिना खड्ग बिना तलवार के आजादी मिली है, ऐसा एक गीत के माध्यम से हम सब को रटा दिया गया था।
अमृत काल जब प्रारंभ हो गया है तो मोदी जी ने इन सब को तो याद किया ही, मोदी जी ने टारगेट रखा है 2047 का। अमृतकाल का मतलब 100 साल तक अर्थात 25 वर्ष तक का जो कालखण्ड बाकी है। इस कालखण्ड में हमने वह सब टारगेट पूरे करने हैं। जिनके लिए हमारी महान आत्माओं ने बलिदान दिए लाखों लोगों ने आजादी के संघर्ष में। यह संघर्ष मैं उस दिन से ही मानता हूं जिस दिन राजा दाहर को अपदस्थ किया गया। यह लगातार हजार ग्यारह सौ वर्ष का संघर्ष किया गया। पहले आततायियों से, आक्रमणकारियों से, फिर मुगल साम्राज्य से, फिर अंग्रेजों से। अंग्रेजों के भी दो हिस्से हो गए थे, एक जिस में ईस्ट इण्डिया कंपनी का सीधा शासन था और इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम नाम दिया था वीर सावरकर ने। 1857 के बाद सीधा ब्रिटिश क्राउन का शासन था।
इस टारगेट को तो पहले 25 साल में पूरे कर लेने चाहिए थे, मेरा यह मानना है, लेकिन हम उन्हें पूरा नहीं कर पाए। देश 1990 के बाद मजबूरी मेंं आर्थिक सुधारों की ओर चल पड़ा। चाइना ने भी उन्हीं दिनों आर्थिक सुधार शुरू किए थे। और आज वह लगभग 45 ट्रिलियन डालर की इकानमी है, अमेरिका के लगभग बराबर।
हम अभी जिस दिन 2014 में जहां से चले थेे उससे आर्थिक दृष्टि से डेढ़ गुना हो गए परन्तु टारगेट हमारा 50 ट्रिलियन इकोनोमी का है। उसका अर्थ क्या है यह सबको समझ में नहीं आएगा। अर्थ यह है कि सबको मूल भूत आवश्यकताएं उपलब्ध हों। सबके ऊपर एक मकान और छत हो। सबको कपड़े सुलभ हों सबको खाने की कोई दिक्कत न हो सबको शिक्षा और स्वास्थ्य मिले, देश के अंदर आवागमन के सभी साधन चाहे वह सड़क के हो, रेल के हों, हवाई जहाज के हाें, समुद्री मार्ग से नदियों के मार्ग हों, यहां सभी यातायात पूरे आज के युग के अनुसार हों।
यह एक महत्वाकांक्षी योजना है उसके साथ-साथ साइंस टेक्नॉलोजी भी आगे बढे़। अब टैक्नोलोजी को अपना कर उधार की टेक्नोलोजी को भारत की परिस्थितियों के अनुसार ढाले। दीनदयाल जी के सपनों के अनुसार यदि सेवन एम में मेन सेंटर में व्यक्ति सेंटर में है और व्यक्ति को रोजगार मिले, हर खेत को जैसे पानी मिले। कहते थे, आज हर घर में जल हो। और यह टारगेट हम 2 साल में पूरा करेंगे या 3 साल में या 4 में। महत्वाकांक्षाएं जगाने वाले यह सारे काम इतने छोटे काल खंड में अगर 9 साल में पूरे हो गए तो यह सिद्ध करता है कि भारत पोटेंशल तो है। भारत में क्षमताएं हैं, उन क्षमताओं को हमने पूरे ढंग से उपयोग नहीं किया।
भारत के लोगों ने अपने प्रतिभा का क्षमता का परिचय दिया। कहां गुलाम बनकर कुली बनकर गए थे, 7-8 देशों में। आज वहां उन देशों में युवा प्रशासन में है। अमेरिका गए तो आज वहां सबसे विश्व के सबसे प्रतिष्ठित देश के अंदर हम जहां मुश्किल से अभी एक प्रतिशत हैं, लोगों ने अमेरिका को कितना प्रभावित किया है, यह अभी भारत की अमेरिका की यात्र प्रधानमंत्री की रही उसमें हमने देखा कि आज भारत का जलवा भारत के वहां रहने वाले नागरिकों के कारण ही बहुत तेजी से बड़ा है क्योंकि आज अमेरिका की सारी हैल्थ सर्विसेस, वहां का जो नासा का क्षेत्र हैं, कम्प्यूटर का क्षेत्र है, साफ्रटवेयर है, मल्टीनेशनल कंपनी है, जितनी बड़ी-बड़ी में उन सब के ब्म्व् भारत के हैं। पर भारत के होने से उनकी तरक्की बहुत तेजी से हुई है। वह उनके साथी यहां पढ़ने वाला है। जो सत्यनटेला के साथ पढ़ा हो या बाकी जितने भी नाम गिनाएं जा सकते उन सब के साथ-साथ साल आगे पीछे पढ़े हुए हैं। उतने प्रतिभावान वह भारत में भी हैं। अब उन सबको मिल कर एक प्रेरणाप्रद अभिलाषापूर्ण लीडरशिप मोदी जी दे रहे हैं। बाकी लोग चुनाव में ही उलझे रहते हैं। अगले 3 महीने का चुनाव 6 महीने का चुनाव 2024 का चुनाव और मोदी जी ने टारगेट 2047 का रखा है। आज के युग के हिसाब से देखो तो मूर्खो वाली बात लगती है। 2047 की तुमको क्या चिंता है, नवंबर में 3-4 स्टेट के चुनाव हैं फिर अगले साल पारलियामैंट के चुनाव हैं। जो राष्ट्रीय नेतृत्व है। उसे राष्ट्र की चिंता है बाकी तो पोलिटिकल लीडरशिप होती है उसे केवल अगला चुनाव दिखता है।
सौभाग्य से भारत में लगभग 100 साल से काम कर रहा एक संगठन रा-स्व- संघ जिसने राजनीति में कभी सीधा दखल नहीं दिया। हस्तक्षेप नहीं किया। सिवाय जब-जब भारत पर कोई आपत्ति आई। 1962 के युद्ध में नेहरू जी ने उसकी प्रशंसा की और उनको बाकायदा गणतंत्र दिवस की परेड में बुलाया। शास्त्री जी तो बहुत ज्यादा प्रभावित हुए 1965 के युद्ध में जो क्षमता जनसंघ की वजह से थी उसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मैंजिक काम कर रहा था। उसने बहुत काम किया। 71 में तो हमारे जैसे लोगों ने सेक्टर वार्डन सिविल डिफैंस के नीचे सड़कें संभालने का किया।
अब 100 साल उस संगठन के हुए और उसी के माध्यम से निकले हुए देश का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, अधिकांश मुख्यमंत्री हैं। जिसके कारण से आज एक टीम के रूप में भारत काम कर रहा है। एक कम्पीटिटव जमाना है कि कौन सा मुख्यमंत्री किससे आगे निकले, इसमें कांग्रेस के भी मुख्यमंत्री आज अपना प्रभाव डालने में समर्थ हो रहे हैं क्योंकि उनको भी मालूम है कि मोदी जी जैसे प्रधानमंत्री हों तो उन के सामने चुनाव स्टेट का लड़ना होगा। और मैं उनकी भी तारीफ करता हूं। आज भारत में परिपक्व लोकतंत्र है।
हिमाचल में हुआ, छत्तीसगढ़ में आज बघेल लगभग वे सब काम कर रहे हैं जो मेरी आपकी विचारधारा के मुख्यमंत्री भी करते थे उतना ही काम लगभग वे काम कर रहे है। एक भ्रष्टाचार वाला पक्ष छोड़ कर तो राजस्थान में भी उसी प्रकार से सरकार चल रही है। उड़ीसा तो बिल्कुल कमाल से ही चल रहा है कि लगातार 15-20 साल एक व्यक्ति जिसको सबसे ज्यादा भूख से मरने वाले लोग गरीबी की रेखा से नीचे वाले लोग थे, आज वह सब चीजों में लगभग बराबर पर हैं।
14-15 करोड़ लोगों ने गरीबी की जो रेखा थी उसको पार करके उसके उपर आने के कारण करोड़ों घरों में नल पहुंच गया। जो विदेशी पैरामीटर थे छत मिल गई, शौचालय मिल गए, वाई फाई मिल गया, गैस मिल गई, बिजली सबको मिल गई उसके कारण से आज वह जितने भी पश्चिमी मानक थे उनके अनुसार भी इस देश में गरीबी की रेखा से तेजी से ऊपर उठ रहे हैं।
परन्तु हमारा लक्ष्य परम उत्कर्ष का है। जिसमें कोई भी भूखा सोए ही न, सरकार की मदद के बिना भी वह अपने बच्चों का लालन-पालन कर सके। सबको अच्छी शिक्षा दे सके सबके स्वास्थ्य की चिंता परिवार का मुखिया कर सके। वह स्थिति आने में अभी 20 साल लगेंगे। कोई बहुत ज्यादा समय नहीं है, किसी राष्ट्र की काल अवधि में जो हजारों साल राष्ट्र में जहां लाखों साल से सनातन निरन्तर एक संस्कृति को हम जीने वाले लोग हैं उसमें आने वाले बीस साल का जो लक्ष्य हैं। उसको प्राप्त करेंगे तो यह अमृतकाल नाम ठीक दिया है। देश के नेतृत्व के लिए अमृत महोत्सव मना लिया परन्तु हम उसे उसकी ओर जो सर्वांगीण विकास की बात हम करते हैं, परम उत्कर्ष की बात करते हैं और उसके अंदर हम विश्व की हर मायने में पहले दूसरे नम्बर पर आना ही पड़ेगा। मंगलयान हो, चन्द्रयान हो और फिर हमारा चन्द्रयान पहुंच रहा है। चन्द्रमा की ओर वैज्ञानिक तरक्की हो परम कंप्यूटर हो भविष्य के लिए 6जी की योजनाएं अभी से पढ़ाई चालू होनी चाहिए। भविष्य के लिए कुआंनटम फिजिक्स जिसमें जो हम सोचते थे आप की ऊपर वालों को तो साइंस बैकग्राउंड के हैं। शायद अभी कुआंटम जिसको बोलेंगे कुआंटम फिजिक्स मन की तरंगों को भी कैसे पहुंचाना एक भविष्य के लिए मोदी जी ने अभी से मिशन बना दिया।
सेमिकंडक्टर को जो 30 साल पहले का काम होना था मौहाली में बिल्डिंग बनी खड़ी थी अब सेमीकंडप्टर चिप्स सपना नहीं होगा 2024 में भारत के अंदर विश्व में सबसे ज्यादा हम बनाएंगे क्योंकि सबसे बड़े उपभोक्ता भी हैं। हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम विश्व का लगभग पांचवा छठा हिस्सा है तो सबसे बड़े कनजूमर भी तो हम होंगे। हर चीज के। आटो मोबाइल में आज हम विश्व में नं 2 पर आ गए हैं हर चीज में पहुंचना है। स्टील प्रोडक्शन में भी नं 2 पर आ गए हैं। हाइड्रोजन के लिए जो फ्रयूचूर का भविष्य का फ्रयूल है। उसके लिए हम मिशन मोड में हैं और अगले साल तक ग्रीन हाइड्रोजन हम विश्व में बनाने वाले सबसे आगे होंगे। सोलर के अंदर हम आज विश्व की दूसरी सबसे बड़े उत्पादक बन गए इस से धीरे-धीरे अब सोलर बिजली बनेगी।
मुझे ध्यान है। 16 रुपये की जब अब्दुल्ला साहब थे नान-कनवैशनल एनर्जी के मंत्री 16 रुपये में सरकार खरीदती थी अब सरकार खरीद रही 3 रुपये प्रति यूनिट में 3 रुपये 5 पैसे 10 पैसे। अब यह चीज आम आदमी को पहुंचाएं कैसे, इसके लिए जरूरत है संचार माध्यम के पत्रकारों की, मीडिया की और उन सब चीजों का अचीवमेंट है कैसे बताएं कि 16 रूपये की चीज आज 3 रूपये में हो और उससे 100 गुना ज्यादा कुआंनटीटी में खरीद रहे हैं। तो इसका कितना भ्रष्टाचार हो सकता था या होता था, सोचिए।
आज वन्दे भारत टेªन और शताब्दी चली कितने दिन हो गए। रेलवे की शताब्दी वर्ष में चली थी, राजधानी उससे पहले चली थी। आज मुश्किल से 10-12 है। और वंदे भारत अगले साल तक 100 वंदे भारत ट्रेन भारत में चलेंगी अब उस का छोटा रूप मेट्रो भी चलेगी विदेशों को एक्सपोर्ट भी होगी।
आप किसी भी विषय पर बात करेंगे भारत आज अग्रणीय राज्यों में है और नई शिक्षा नीति पूर्ण रूपेण लागू हो जाएगी 2025-2026 तक। इसका कमाल देखने को मिलेगा हमें 2030-2032 तक क्योंकि इसमें से जो छात्र निकलकर आएंगे, पढ़ के जो आगे निकलेंगे उनके अंदर राष्ट्र के प्रति संचेतना होगी, राष्ट्र के प्रति आदर भाव होगा।
अभी तक तो गुलामी की मानसिकता को जीने वाले हम लोग हैं जो हमारी पीढ़ी है। हमारे बाद वाले उनको पता ही नहीं भारत के वैज्ञानिक प्रगति कार्य के, उन्हें आर्य भट्ट का पता नहीं, उनको न्यूटन का पता है, जो मुश्किल से 250-300 साल पहले था। उनको यह नहीं पता कि यही सभी चीजें हम हजारों साल से पहले जानते थे और यह बात कह नहीं रहे, लिखित में है। भारत के इकोनोमिक शास्त्र के चाणक्य को हमने भुला दिया और चाणक्य के अर्थशास्त्र के ऊपर विश्व के सारे आधुनिक प्रशासनिक जितने फक्ंशन हैं वह सब चाणक्य के अर्थशास्त्र में है। वह केवल अर्थशास्त्र नहीं था। मिलेट्री शासन सब कुछ है, उसमें अब यह सब चीजें रिसर्च हो कर लोगों के सामने आए भारत के टैक्सट बुक में इस का समावेश होगा तो यह जो नए नागरिक देश को हम देंगे 10 साल बाद वह किसी से भी किसी मायने में हीन भावना लेकर चलने वाले नहीं होंगे। वह लोग गर्व से कहेंगे हम भारतीय हैं। भारत के संस्कार भारत की संस्कृति, भारत का इतिहास जो है बीच में 5-7 सौ साल हमारे खराब रहे हैं। परन्तु उस दौरान हम आर्थिक रूप से उतने खराब नहीं हुए थे, हमें जबरदस्ती अकाल की भेंट चढ़ाया गया। हमारे सभी रा मिटिरियल विदेश जाते थे और तैयार माल यहां आके महंगे दामों में हम खरीदते रहे। आज हम कच्चा माल न के बराबर भारत से भेज रहे हैं, फिनिशड गुडस भेज रहे हैं। आज हम सब चीजें वह भेज रहे हैं जो वैल्यू एडिशन हो रही हैं। इसलिए भारत की इकोनोमी तेजी से बढ़ रही है। ळैज् हमारा तेजी से बढ़ा है। उससे बिना रेट बढ़ाए आज हम दूसरे देशों में पहुंच गए हैं। पिछले सवा साल से पूरे विश्व में पैट्रोलियम प्रोडक्ट सबसे सस्ता हमारे पास ही हैं। पर हम अड़ोस-पड़ोस का भी ध्यान करते हैं। श्रीलंका क्राइसिस में जनता बेहाल थी और अब कल जब मैंने पढ़ा कि पाइप लाइन से हम गैस और तेल समुद्र के रास्ते पाइप लाइन बिछेंगी और श्रीलंका जाएगी। नेपाल पूर्णतः हम पर आश्रित है। भूटान है, हम अफगानिस्तान को भी भूख से मरने न दे, पाकिस्तान भारत से बात नहीं कर रहा तो भूख से बिहाल है। विश्व के अंदर सब जगह अच्छा प्रगतिशील राष्ट्र वही है जो अपनी भी चिंता करते हुए सबका ध्यान करें। वसुधैव कुटुम्बकम तभी तो होगा। जब हमने कोरोना के दौरान सब का ध्यान रखा है।
90 देशों में हमने अपने टीके मुफ्रत में दिए इसलिए एक प्रधानमंत्री एक देश का दूसरे के पैर छुए यह तो आज के युग में संभव नहीं था। आज की परिपार्टी में भी नहीं हैं। यह तो ट्टषि मुनियों के समय होता था परन्तु अब हम देख रहे हैं। 16 मुस्लिम देशों ने अपना सर्वोच्च सम्मान भारत को दिया है। उस मोदी को दे रहे हैं जिसको हिन्दू कह के बदनाम किया गया। कट्टर कहा गया। 16 मुस्लिम राष्ट्र सऊदी अरब समेत। यह अमृत काल के और बढ़ते हुए कदम है। जिसके स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। दीवार पर लिखा जा रहा है। भविष्य भी लिखा जा रहा है। और हम सब ने मिलकर इस अमृतकाल में गति को बढ़ाना है।
मैं विज्ञान का विद्यार्थी हूं। पर इस देश के जिसको अनपढ़ प्रधानमंत्री कहने वाला एक नेता जो दिल्ली जैसे छोटे से शहर को 10 तारीख तक यह कहता रहा बारिश नहीं होगी, बाढ़ नहीं आएगी पर 12 तारीख दिल्ली डूबती है। और उसके बाद वह चुपचाप हो जाता है और फिर वह बैंगलोर में सबकी एकता करने जाता है। इंडिया अंगैस्ट कोरपशन संस्था के माध्यम से निकला हुआ कोई मुख्यमंत्री इंडिया फार करप्शन के लोगों के साथ बैठता है। इस काल में सब छंटनी भी होगी अमृत से पहले विष भी निकलेंगे विषपान करने के लिए फिर हमें शिव भी बनना होगा। घटनाएं दुर्घटनाएं होगी आज भी मणिपुर के दिल दहला देने वाली घटना पर। घटना हुई 4 मई को वीडियो वायरल संसद के सत्र से पहले दिन होता है। सब साजिशें होंगी, और साजिशें होंगी कई सीमा हैदर के नाम से होंगी। कहीं किसी बात पर झगड़ा कराना अशांति कराना देश को तोड़ना गलत है। सबको जागरूक होना पडे़गा। इस देश की सीमा के पहरेदारों, इस देश के नागरिकों को इस देश के अंदर टेªनों का एक्सीडेंट कराने वाले पकड़े भी गए। सी-बी-आई ने कभी वंदे भारत की बैट्री में आग लगाने वाले। कहीं से थोड़ा पानी आ रहा है तो फिर डिस्ट्रर्व करने वाले देखो टेªन में पानी आ रहा है, वंदे भारत में। तो नकारात्मक शक्तियां भी उतनी ही तेजी से लड़ेगी।
26 दल इकट्ठे होंगे तो दल वह है, जिनका कोई नाम भी नहीं जानता—मोदी जी अपनी मजबूरी में उन जैसे लोगों को लेंगे जो तथाकथित परिवारवादी हों तो राजनीतिक अवधारणा का खेल रहेगा। अच्छी चीजें भी होंगी खराब भी होंगी परन्तु अच्छी चीजों को बढ़ावा मिले तो ही अमृत आएगा। तो विष को भी निकालना चाहिए। जैसे खीरे को रगड़ने से विष निकलता है, ऐसे अब समाज में एक टरनिंग है। मंथन है। मंथन में बहुत सजग, विश्वास लेकर चलने वाले नागरिकों की आवश्यकता है, भारत अपने नेतृत्व पर, भारत नागरिक अपने ऊपर विश्वास करके चले। इस शुरू की 5,7,10 साल और थोड़ी मेहनत की जरूरत है। फिर यह देश दौड़ेगा और दौड़ेगा। पूरे विश्व में शांति के लिए विश्व के अंदर ळ-20 के माध्यम से था बाकी सभी माध्यम से अब लोग भारत की और देख रहे हैं। भारत से उम्मीद करते हैं। भारत का तिरंगा देखकर युक्रेन रूस रुक सकता है। अभी कई देशों में लिबिया में, सूडान में कहीं भी हमारे नागरिक कहीं फंसते हैं तो भारत उनकी रक्षा के लिए पहुंचता है। मैं समझता हूं अमृतकाल की ओर बढ़ते कदम को हमें भी अपना हौसला देना है। अपना संबल देना है। और विश्वास के साथ अपनी लीडरशीप भी अच्छे कामों की प्रशंसा करने की भी प्रवृति पैदा करेंगे। हमें अमृतकाल में आने वाले 23-24 साल में विश्व के शिखर पर होने चाहिए किसी को डराने के लिए नहीं, किसी को धमकाने के लिए नहीं, वर्चस्व के लिए नहीं, संभाल के लिए, शांति के लिए और स्थिरता के लिए भारत का बढ़ना पूरे विश्व के लिए आवश्यक है। हम इस इतिहास के मोड़ में सहभागी हैं।
प्रश्न: आपने सभी विषयों को सभी क्षेत्रें की प्रगति की बात की मैं समझता हूं कि सबसे बड़ी बात जो है वह भारत के युवा शक्ति में और जनसाधारण में आत्मविश्वास बढ़ा है। उसको लगता है कि हम भी प्रगति कर सकते हैं। पहले हीन भावना थी इसके बारे में आप का क्या विचार है।
उत्तर: आज भारत के अंदर हमारे अपने ऊपर विश्वास ‘मैं कर सकता हूं।’ ‘हम यह कर सकते हैं’, मैं से हम की ओर बढ़ना है। व्यक्तिगत रूप से भारत के लोग बहुत अच्छे थे सामूहिक रूप से अच्छे होने की आवश्यकता थी उसके लिए एक अच्छी लीडरशिप की जरूरत थी लीडरशीप भी उस आदर्श जैसे 1947 में मिल गयी थी। भारत के लोग बहुत आशान्वित भी थे जवाहर लाल नेहरू जी एक प्रगतिशील ईमेज लेकर बढ़े परन्तु वह ‘इजिम’ में फंस गये कम्यूनिजम में कभी सोशलिज्म, उनके अपने शौक थे अलग टाइप के जिसके कारण से शायद जितना कर सकते थे नहीं कर पाए और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं था।

प्रश्न: हमारी योग शक्ति के कारण विश्व में हमारा सम्मान बढ़ा।
उत्तर: हमारी जो आज जितनी भी हमारी परम्पराएं थी, योग ने 8 साल के अंदर पूरे विश्व में छा गयी। आने वाले 7-8 साल में आयुर्वेद के माध्यम से लोगों का स्वास्थ्य भी सुलभ मिलेगा। भारत के पास वह सब चीजें हैं। जिसके कारण लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहे मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहे और परिवार बड़े परिवारवाद न बड़े परिवार की अहमियत समझ में आ जाए तो हमारे संयुक्त परिवार के फायदे क्या हैं। नई पीढ़ी को समझ में आना शुरू हो गया है। हम एक एक्सट्रीम में जा के सीखना चाहते हैं। फिर दूसरे हमारे चीज को ही तो विदेशी लोग एडोप्ट कर ले तो हमें लगता है कि ठीक है।
अब यह हीन भावना दूर हो रही है और मैं यह कह रहा हूं ये शिक्षा नीति लागू सच्चे माइने में हो जाएगी। 3-4 साल तक इसके असर हमें निश्चित तौर पर देखने को मिलेंगे। शिक्षा नीति वह है जो भारत की आवश्यकता थी, मैकाले वाले दुष्प्रभाव में जो अभी भी है क्योंकि पढ़ाने वाले तो अभी वही है। अभी यह नए बच्चे जो पढ़कर आएंगे, यह सब पढ़ाने वाले बनेंगे तो आने वाले 25-30 साल में परिवर्तन की जो रफ्रतार है वह बहुत तेजी से बढ़ेगी क्योंकि यह सब चीजें इसी रूप में बढ़ती है। जो गणित के अनुपात से नहीं बढ़ेगा। बल्कि रेखागणित अनुपात से। अमेरिका देश 250 साल पहले क्या था इंग्लैंड सबसे ऊपर था। आज उसकी स्थिति क्या है। जापान आगे बढ़ रहा है, गत दोनों विश्व युद्धों में मार खा कर जर्मन आज फिर से विश्व की तीसरे नंबर की शक्ति है। पर हमने आज ब्रिटेन को पार कर लिया है। फ्रांस और जर्मन को कर लेंगे तो हमारे सामने अमेरिका और चीन उनसे मुकाबला होगा। मुकाबला तो कठिन है।
आने वाले 15-20 सालों के अंदर हमें आगे बढ़ना है, पर हमने सबको साथ लेकर भी चलना है, एक-एक लाख करोड़ की डील अभी फ्रांस में हुई आधुनिक जितने हथियारों की। जो हम यहां बनाएंगे पहले खरीदते थे। अब मैनटेन भी तो करते हैं, और आज हम अपना स्वयं बनाएंगे अमेरिका वाले हमें इंजन देंगे हम जैट भी बनायेंगे और क्या सवारी के लिए भी बनाएंगे। पैसेजर के लिए भी तो बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है यह आने वाले 3-4 साल में ये चेंज इतना होगा कि हमारा विश्वास तो बढ़ता ही चला जाएगा।
हमारे पाठकों के लिए इतनी सटीक, प्रेरक सामग्री देने के लिए धन्यवाद।

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