स्वाधीनता विशेषांक
अगस्त, 2023
सच को सच कहना भी सीख,
कुछ जिंदा रहना भी सीख।
सागर सा मत हो के बैठ,
दरिया सा बहना भी सीख।
कब तक मारा-मारा फिरना,
संग अपने रहना भी सीख।
बच-बचकर दौड़ेगा कब तक,
तू ठोकर सहना भी सीख।
बाहर तो सब देख लिया है,
कुछ अंदर रहना भी सीख।
खूब कमाई कर ली अब तक,
कुछ घाटा सहना भी सीख।
तना खड़ा है जाने कब से,
कभी-कभी ढहना भी सीख।
दौलत शोहरत, सब बेकार,
कुछ निंदा सहना भी सीख।
-सीता राम गुप्ता