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अब थोड़ा हंस लो

जुलाई, 2023
स्वास्थ्य विशेषांक

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बहुत दर्द होता है जब टीचर बोलती है कि तुम्हारा और तुम्हारे आगे वाले का जवाब एक है।
तब दिल से आवाज आती है——— तो सवाल भी तो एक ही था।
-माया तिवारी, मुम्बई
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अगर एग्जाम पेपर मुश्किल लगे या समझ में न आए, तो एक गहरी सांस लो और जोर से चिल्लाओ—–
‘फेल ही करना है तो परीक्षा ही क्यों लेते हो।’
-पंकज सेठी, जालंधर
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संता कार धो रहा था। तभी पास से एक आंटी गुजरी और पूछा: कार धो रहे हो?
संता: नहीं आंटी, पानी दे रहा हूं। शायद बड़ी होकर यह बस बन जाए।
-गुडि़या, दिल्ली
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टीचर: बच्चो, एग्जाम नजदीक है, अगर कोई सवाल है तो पूछ लो।
स्टूडेंट्स: किस प्रिंटिंग प्रेस में क्वेश्चन पेपर छपने के लिए गए हैं?
-जगत शर्मा, ग्वालियर
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सोनू गलती से गहरी नदी में गिर गया, लेकिन उसे तैरना नहीं आता था। डूबते-डूबते उसके हाथ में एक मछली आ गयी। उसने पूरी ताकत से मछली को पानी से बाहर फेंका और बोला: जा , कम से कम तू तो अपनी जान बचा ले।
मोहित राय, इलाहाबाद
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मालिक ने नए नौकर से पूछाः तुम्हें मैनेजर ने काम समझा दिया?
नया नौकर: जी हां।
मालिकः मैनेजर ने क्या समझाया है?
उन्हाेंने समझाया है कि जब भी आप आफिस आएं, तब मैं उन्हें जगा दिया करूं।
-महिमा, नई दिल्ली
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नौकर: साहब, मैंने एक सपना देखा कि आपने मुझे 100 रुपए एडवांस दिए हैं।
मालिक: ठीक है। कोई बात नहीं, अगले महीने अपनी तनख्वाह से कटवा लेना।
-मानस श्रीवास्तव, आजमगढ़
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दामाद: मैंने आपकी बेटी से शादी तो कर ली, पर उसमें एक नहीं, सैकड़ों कमियां हैं।
सास: कोई बात नहीं बेटा, पत्नी की कमियों को नजरअंदाज करना ही पति धर्म है।
-सतेन्द्र मिश्र, जहानाबाद (बिहार)
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पिता: बेटी, तेरे भाई के लिए लड़की देखने जा रहा हूं। क्या दामाद जी को भी साथ ले लूं?
बेटी: पापा, क्या फायदा, उन्होंने अपने लिए मुझे पसंद किया था। क्या आप भैया के लिए ऐसी पसंद को स्वीकार करेंगे?
-रश्मि कुमारी, आगरा
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डाक्टर के बंद क्लीनिक के आगे भीड़ लगी थी। लोग क्लीनिक खुलने का इंतजार कर रहे थे। उसमें एक आदमी बार-बार आगे जाने की कोशिश कर रहा था और लोग उसे पकड़ कर पीछे खींच लेते। 5-6 बार पीछे खींचे जाने के बाद वह चिल्लाया और बोला ‘लगे रहो लाइन में, मैं आज क्लीनिक ही नहीं खोलूंगा’
-पूर्णिमा, पटना (बिहार)
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लड़की वाले: पंडित जी हमें ऐसा लड़का चाहिए जो कुछ खाता-पीता न हो।
पंडित जी: ऐसा लड़का——–जीवित कैसे रहेगा। आप लोग कैसी बात कर रहे हो?
-सुरेश वर्मा, नई दिल्ली
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राम लाल: मैं चश्मा लगाकर पढ़ सकूंगा न?
चश्मे वाला: हां—हां बिल्कुल।
रामलाल: तो फिर ठीक है वरना अनपढ़ आदमी की जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है।
-सुकृर्ति अद्वितीय, पुणे (महा.)
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लड़की: जींस की कीमत कितनी है?
दुकानदार: सिर्फ 5000 रुपए
लड़की: अरे बाप रे—–और उस जींस की क्या कीमत है?
दुकानदार: दो बार अरे बाप रे—–।
-रानी शर्मा, आगरा (उ.प्र.)
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पति: सुनती हो। ये जो तुमने सब्जी बनाई है, उसका क्या नाम है?
पत्नी: क्यों, क्या हो गया?
पति: कल डाक्टर पूछेंगे कि मैंने क्या खाया था तो बताना पड़ेगा न।
-श्यामा, भुवनेश्वर (उड़ीसा)
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शिक्षक (पप्पू से): आत्मसंयम का मतलब बताओ?
पप्पू: लोग कुछ दिन सिगरेट शराब पीते हैं और कहते हैं कि उन्हें उन चीजों की आदत लग गई है। लेकिन मुझे देखिए बचपन से पढ़ रहा हूं, लेकिन आज तक पढ़ने की आदत नहीं लगी। इसे कहते हैं आत्मसंयम।
-विनय गुप्ता, औरंगाबाद
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अफसर: आपका बर्थडेट कब है?
पप्पू: जी 15 अक्टूबर
अफसर: 15 अक्टूबर तो ठीक है, लेकिन साल कौन सा?
पप्पू: हर साल।
-श्रीनिवास, अहमदाबाद (गुज.)

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